जयपुर के कोल्यारी तहसील झाड़ोल के निवासी नानालाल शर्मा पहले एक सामान्य किसान की तरह गेहूं, मक्का, उड़द की खेती करते थे, लेकिन इसमें उन्हें ज्यादा लाभ नहीं मिलता था। एक बार उन्होंने कथौड़ी समाज के लोगों को जंगल से सफेद मूसली लाकर बेचते हुए देखा तो उनके भी मन में भी सफेद मूसली की खेती करने की बात आई।
शर्मा ने जुलाई 2001 में धरावण के जंगल से सफेद मूसली के 5000 पौधे लाकर खेत में लगाए। उन्हीं पौधों से तैयार जड़ों को पुनः 2002 में खेत में बुआई के चौथे दिन अंकुरण शुरू हो गया। एक माह बाद सफेद फूल आए। सितम्बर 2002 में शर्मा को सफेद मूसली की फसल प्राप्त हुई। इस प्रक्रिया में कृषि विभाग पूर्ण रूप से मार्गदर्शक के रूप में साथ रहा। कथौड़ियों से जानकारी लेकर सफेद मूसली को सुखा कर वे इसे बेचने लगे तो इस वर्ष उन्हें आधे बीघा भूमि में 80,000 रुपए का लाभ हुआ। इसे देखकर अन्य किसान भी बीज ले जाकर खेती करने लग गए। सफेद मूसली का उत्पादन बोए गए बीज की मात्रा का पंद्रह गुणा तक प्राप्त होता है।
मूसली का छिलका उतारते हुए शर्मा के मन में आया कि सूखी मूसली बेचने के बजाय पाउडर बनाकर बेचा जाए तो ज्यादा लाभ होगा। शर्मा ने इसका पाउडर बनाकर बेचा। लोगों ने इसे भी खरीदा, लेकिन उन्हें इसके उपयोग में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी।
शिकायत मिलने पर अपनाया दूसरा तरीका
इस चिकनाहट होने के कारण इसे खाने या दूध के साथ लेने में दिक्कत होती थी। एक उपयोगकर्ता ने इसकी शिकायत की तो शर्मा ने दूसरा तरीका अपनाया और मूसली पाउडर के केप्सूल बनाने का कार्य शुरू किया। वर्तमान में शर्मा सफेद मूसली के 1.50 से 2 लाख केप्सूल बनाकर 2 प्रति केप्सूल की दर से प्रति वर्ष बेच रहे हैं। साथ ही बीज भी बेच रहे हैं, इससे उन्हें 4 लाख से अधिक की आय हो रही है। शर्मा का मानना है कि झाड़ोल फलासिया में सफेद मूसली की खेती प्रति वर्ष 100 करोड़ से पार जा सकती है।
शर्मा को उम्मीद है कि वर्तमान में झाड़ोल तहसील जिला-उदयपुर के कोल्यारी, धरावण, जेतावाड़ा, सीगरी, मैसांणा, ओड़ा, धोबावाड़ा, तलाई आदि गांवों में 3500 किसानों से बढ़ाकर 15000 से अधिक किसान इसकी खेती प्रारम्भ करें। सफेद मूसली की खेती को कोटड़ा तक फैलाना, क्षेत्रफल बढ़ाना, साथ ही एक प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करवाना उनका सपना है।
इस यूनिट के माध्यम से मूसली केप्सूल और इसके पाउडर की अच्छी पैकिंग कर बाजार में बेच जा सकेगा एवं किसानों की उत्पादन व मार्केटिंग कम्पनी बनाकर इसके निर्यात का रास्ता तैयार हो सकेगा। उदयपुर में आयोजित होने वाले ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट’ (ग्राम उदयपुर) के दौरान मूसली के मूल्यवर्धित उत्पादों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
सूत्र: खास खबर
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