पश्चिम बंगाल का चावल अपने आप में काफी खास माना जाता है. यह पतले, सुंगधित और बेहतर स्वाद वाले होते हैं. इसकी वैश्विक संभावनाओं को देखते हुए राज्य की सरकार ने यहां के सुंगधित चावलों की पैदावार को और बढ़ाने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग के द्वारा जारी बयान के मुताबिक ये जानकारी दी गई है कि सुगंधित चावलों की खेती 27807 हेक्टेयर भूखंड पर की जाएगी. दरअसल राधातिलक, दुधसर, कलाभाट, कालोनुनिया ये सुंगधित चावल की कुछ ऐसी किस्मे हैं जिनकी खेती बंगाल में की जाती है. राज्य का कृषि विभाग लगातार इसकी उत्पादकता को बढ़ाने की ओर ध्यान दे रहा है.
जैविक खेती हेतु अतिरिक्त भूमि का उपयोग
राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक जैविक खेती के तरीकों का उपयोग करके धान, चाय, फूल, और फलों की खेती की जा सकती है. सुगंधित चावल के लिए जैविक उर्वरक काफी आवश्यक है, क्योंकि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से ही सुगंध को काफी नुकसान होगा. इन सुगंधित चावल की खेती करने के लिए राज्य में 10 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे राज्य के किसानों को भी काफी ज्यादा फायदा होने की पूरी उम्मीद है.
कृषि विभाग के आंकड़े
कृषि विभाग के अनुसार, 2016-17 से राज्य में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग काफी कम हो गया है. इससे पहले प्रति हेक्टेयर में 190 किलोग्राम उर्वरकों का उपयोग किया जाता था जो कि वर्तमान में घटकर 187 किलोग्राम हो गई है. इसके अलावा राज्य में जैविक खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर 1.5 मीट्रिक टन से बढ़कर 1.88 मीट्रिक प्रति टन हेक्येटर हो गया है.
जैविक चावल की खेती होगी लाभकारी
जैविक खाद का उपयोग सुगंधित चावल की ना केवल पैदावार को बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि यह इसकी सुगंध और पौष्टिकता को भी बचाने में काफी सहायक सिद्ध होगी. ये स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी ज्यादा लाभकारी है और जैविक खेती से उत्पन्न किए जाने वाले अनाज पश्चिम बंगाल के लोग बड़े पैमाने पर पसंद कर रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए हर तरह की संभव मदद करने का पूरा भरोसा विभाग को दिया है.
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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