बीते दिनों हमने आपको बताया था कि अंतराष्ट्रीय बाज़ार और केंद्र सरकार की फ्री राशन योजना की वजह से गेहूं की मांग बढ़ गई है, जिससे इसके फसल के दाम भी बढ़ गए हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान गेहूं खरीदी केंद्रों पर जाकर अपनी फसलों को नहीं बेच रहे हैं. खबर है कि राज्य के बाराबंकी में लगभग 62 गेहूं खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा फैला हुआ है.
14 दिन बीत गए लेकिन एक भी किसान नहीं पहुंचा(14 days passed but not a single farmer reached)
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के किसानों के लिए 1 अप्रैल से ही गेहूं की खरीद करने के लिए सरकारी गेंहू खरीदी केंद्रों को खुलवा दिया है. आज गेंहू खरीदी केंद्रों के खुले हुए 14 दिन बीत गए हैं, लेकिन बावजूद इसके यहां किसान अपनी फसलों को बेचने नहीं आए हैं. ऐसे में केंद्र प्रभारी मायूस नजर आ रहे हैं.
गेंहू खरीदी केंद्रों पर क्यों नहीं जा रहे किसान?( Why are farmers not going to wheat procurement centers?)
गेंहू खरीदी केंद्रों पर नहीं जाने को लेकर बाराबंकी के किसानों का कहना है कि व्यापारी उनके गेंहू के फसलों के दाम गेंहू के सरकारी दाम से ज्यादा दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि जहां गेंहू के फसलों के सरकारी दाम 2 हजार 15 रुपए है, तो वहीं व्यापारी खुद उनके खेतों तक पहुंच कर 2 हजार 50 से लेकर 21 सौ रुपये तक दे रहे हैं. वहीं कुछ किसानों का कहना है कि गेंहू खरीदी केंद्रों में जाने पर सरकारी तंत्र की लंबी लाइन रहती है और इसमें बिचौलिया भी अपनी भूमिका निभाते हैं.
ये भी पढ़ें:खुशखबरी! जो गेहूं पहले काटा जा चुका है, उसे बिना तरीख तय किए खरीदा जाएगा
ऐसे में किसान भाई कह रहे है कि वो क्यों ना अपनी फसलों को आसानी से बिना गए और मुनाफे के पैसों में बेचें.
केंद्र प्रभारियों को किसानों के आने की उम्मीद
हालांकि कई केंद्र प्रभारियों का कहना है कि शायद अभी भी बहुत से किसान अपने खेत में गेंहू की कटाई का काम कर रहे हैं. इसलिए वो गेहूं बेचने के लिए गेंहू क्रय केंद्रों पर नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में केंद्र प्रभारियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में किसान उनके केंद्रों पर आकर फसलों को बेचेंगे.
Share your comments