मां दंतेश्वरी (एमडी) बॉटनिकल्स की संस्थापक और अखिल भारतीय किसान गठबंधन (एआईएफए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजाराम त्रिपाठी की बेटी अपूर्वा त्रिपाठी ने बुधवार, 3 जुलाई, 2024 को कृषि जागरण के हेड ऑफिस का दौरा किया. अपने दौरे के दौरान, वरिष्ठ पत्रकार विवेक कुमार राय ने उनका साक्षात्कार लिया. साक्षात्कार में, अपूर्वा त्रिपाठी ने एमडी बॉटनिकल्स की स्थापना की अपनी यात्रा, शुरू करने के पीछे की प्रेरणा और अपने पिता के काम से अपने करियर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी साझा की. बौद्धिक संपदा अधिकार (intellectual property rights) में स्नातक के साथ ही अपूर्वा दो स्नातकोत्तर उपाधियां प्राप्त की हैं और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बस्तर के लोगों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों में पीएचडी कर रही हैं.
कानून की पृष्ठभूमि से कृषि की ओर उनके रुझान के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने बताया, "मैं एक आदिवासी समुदाय में जन्मी और पली-बढ़ी हूं और हमेशा कृषि से जुड़ी रही हूं. अपने पिता के 30 वर्षों के अनुभव से सीखकर मुझे अपने समुदाय के लिए कुछ लाभकारी करने की प्रेरणा मिली."
एमडी बॉटनिकल्स के बारे में, अपूर्वा ने बताया कि यह विचार अपेक्षाकृत नया है, छह महीने से एक साल पुराना है. सभी आवश्यक प्रमाणपत्रों और लाइसेंसों के साथ, अब हम बहुत जल्द नेशनल और इंटरनेशल लेवल पर कुल 60 उत्पादों के साथ लॉन्च करने के लिए तैयार हैं. वही एमडी बॉटनिकल्स का लक्ष्य बस्तर के हर्बल उत्पादों के लिए एक मंच बनना है, जिन्हें पहले उचित पैकेजिंग और वितरण की कमी थी, ताकि उन्हें उचित बाजार चैनल मिल सके.
हर्बल उत्पादों के लाभों पर प्रकाश डालते हुए, अपूर्वा ने कहा, "हमारे हर्बल उत्पाद मूल रूप से प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं और सिंथेटिक रसायनों से मुक्त होते हैं, जिससे वे दीर्घकालिक उपयोग के लिए सुरक्षित होते हैं. वही हमारे उत्पादों को सभी लोगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है यानी जो अस्वस्थ हैं वह भी सेवन कर सकते हैं और जो स्वस्थ हैं वह भी सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा हमारे उत्पादों को सभी उम्र के लोग सेवन कर सकते हैं, जैसे- हमारे पास एक लीवर ऑन प्रोडक्ट है. इस प्रोडक्ट को दोनों तरह के लोग इस्तेमाल करते हैं, जिनको लीवर संबंधी समस्याएं हैं वह भी करते हैं, जिनको समस्याएं होने की आशंका होती है वह भी करते हैं. साथ ही वह लोग भी इस्तेमाल करते हैं ताकि इस तरह की समस्याएं नहीं हो. इसके अलावा, हर्बल उत्पादों का उपयोग टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देता है और स्थानीय समुदायों का समर्थन करता है."
उन्होंने आगे बताया कि उनके उत्पादों का अनूठा विक्रय प्रस्ताव (यूएसपी) देशभर में हरित-योद्धा, कृषि-ऋषि, हर्बल-किंग, फादर ऑफ सफेद मूसली के उपनाम से मशहूर डॉ. राजाराम त्रिपाठी की विशेषज्ञता, बस्तर के लोगों का पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां और कच्चे माल के स्रोत और गुणवत्ता के आश्वासन में निहित है. वही मार्केट में बहुत सारे प्रोडक्ट हैं, लेकिन यह नहीं बता पाते हैं कि उत्पाद के उत्पत्ति का निश्चित स्रोत क्या है? उसकी क्वालिटी कैसी है, वह कैसे परिवेश में उगाया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा, “हमारे उत्पादों को तैयार करने के दौरान जो प्रोसेसिंग का काम होता है. वह सभी महिलाओं के द्वारा किया जाता है. एमडी बॉटनिकल के अंतर्गत हम फूड सप्लीमेंट, जैसे- अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली, मोरिंगा, चिया सीड्स, ब्लैक पीपर, मसालें और कुछ अन्य जैविक उत्पादों को तैयार कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य हमारे उत्पादों को पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध कराना है, जिसमें से लाभ का एक बड़ा हिस्सा इसमें शामिल आदिवासी समुदाय को जाएगा."
उन्होंने आगे बताया कि मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के अंतर्गत औषधीय फसलों की खेती और प्राइमरी प्रोसेसिंग होती है. इससे एक हजार से अधिक किसान परिवार जुड़ा हुआ है. वही एमडी बोटेनिकल के अंतर्गत प्रोसेसिंग करके पैकजिंग तैयार किया जाता है. पैकजिंग से बस्तर की 50 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुईं हैं और बाकि किसान मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के जुड़े हुए हैं.
अपूर्वा ने कहा, "शुद्ध उत्पाद अक्सर अधिक कीमत पर आते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य कीमतों को उचित रखना है ताकि मध्यम वर्गीय परिवार भी उन्हें खरीद सकें और आदिवासी समुदाय को उचित लाभ मिल सके." अपूर्वा ने आगे बताया कि दो तरह के उपभोक्ता होते हैं: एक वे जो लागत पर ध्यान देते हैं और दूसरे वे जो शुद्धता और गुणवत्ता को प्राथमिकता देते हैं. हमारे उत्पाद शुद्धता पर ध्यान देते हैं. हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे उत्पादों में उत्पत्ति का स्रोत दिखाई दे. इसके अलावा, उत्पादों का ट्रेड मार्क हमने ट्राइबल आर्ट रखा है.
वही साक्षात्कार के समापन के बाद अपूर्वा त्रिपाठी ने केजे चौपाल में भी हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कृषि जागरण के एमएफओआई पुरस्कारों और किसानों को समर्थन देने के प्रयासों के लिए सराहना की. उन्होंने कृषि जागरण के साथ अपनी यात्रा और दृष्टिकोण को साझा करने के अवसर के लिए आभार व्यक्त किया.
Share your comments