मेघालय सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक सराहनीय पहल की है. किसानों की दुर्दशा को समझने के लिए राज्य में एक 'किसान आयोग' का गठन किया गया है. यह आयोग किसानों की दुर्दशा को समझने और उससे बाहर निकालने के लिए उपयोगी व सक्रिय कदम उठाने की दिशा में काम करेगा.
मंगलवार को मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने शिलॉंग में इस आयोग के गठन की घोषणा की. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की बदहाली को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. इस आयोग से किसानों की बुनियादी समस्याओं की पहचान करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही राज्य के किसान जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं उनका उचित समाधान निकालने का काम भी यह आयोग करेगा.
मंगलवार को राज्य के कृषि मंत्रालय ने पहली किसान संसद का आयोजन किया. इसमें मुख्यमंत्री संगमा ने भी शिरकत की. उन्होंने कहा कि 'किसान संसद एक ऐसा मंच होगा जहाँ सरकारी अफसरों, नीति निर्माताओं को एक ही मंच पर लाकर किसान हित में फैसले लिए जा सकेंगे. यह दोनों तंत्र मिलकर मेघालय के किसानों की समस्याओं को पहचानने और उनका समाधान देने के लिए काम करेंगे.' आयोजन में मेघालय बेसिन डेवलपमेंट एजेंसी और हिल फार्मर्स एसोसिएशन ने सहयोगी की भूमिका अदा की.
मुख्यमंत्री ने कहा किसानों की समस्या पर बात करते हुए कहा कि किसानों को आधारभूत और ढांचागत, रसद आपूर्ति और बाजार बाजार की गैरमौजूदगी जैसी समस्यांओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को उनकी फसल सीधे बाजार तक ले जाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके साथ ही कृषि उत्पादों को अधिक लाभकारी और बागवानी को बढ़ावा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण व्यवस्था की हैं. लेकिन हमारे लिए जरुरी है कि किसानों की बात को सुना जाए. इससे उनकी समस्याओं को समझने और उनका निदान करने में सहूलियत होती है. इस किसान संसद से हमें किसानों और नीति निर्माताओं के बीच एक संवाद का मंच मिलेगा जिससे किसानों के हित में नीतियां बनाने में मदद मिलेगी और उनकी जरूरतों के अनुसार उनका विकास किया जा सकेगा.
कोरनाड संगमा ने कहा कि सरकार राज्य के किसानों को ध्यान में रखते हुए नए प्रयोग कर रही है साथ ही बाजार आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया जा रहा है जिससे किसानों को आत्मनिर्भर और कुशल बनाया जा सके. इस कड़ी में सरकार विभिन्न संगठनों से समझौता कर रही है जिसके तहत सरकारी योजनाओं को किसानों तक पहुँचाने का काम किया जाएगा. साथ ही ऐसे उत्पादों को प्रमोट किया जाएगा जो किसानों के लिए लाभकारी हैं.
रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण
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