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पराली जलाने की समस्या हुई दूर, पराली को बेच किसान हो रहे हैं मालामाल

पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सरकार नए-नए हथकंडे अपनाती आई है. दिल्ली की बात करें तो आस-पास में पराली की समस्या से यहाँ के लोगों को काफी तकलीफें उठानी पड़ती हैं.

प्राची वत्स
Paddy Straw
Paddy Straw

पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सरकार नए-नए हथकंडे अपनाती आई है. दिल्ली की बात करें तो आस-पास में पराली की समस्या से यहाँ के लोगों को काफी तकलीफें उठानी पड़ती हैं.

ऐसे में सरकार आधुनिक तकनीकों की मदद से ये कोशिश करती रही है की कैसे इस समस्या से छुटकारा मिल सके. हवाओं में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा को रोकने के लिए सरकार पराली से नई-नई चीजों का खोज कर रही है. जैसे- पराली से बिजली, खाने का प्लेट, खेतों में खाद इत्यादि.

पर्यावरण को अब तक जो पराली प्रदूषित कर रही थी अचानक उसी पराली के भाव बढ़ गए हैं. आज से तीन-चार साल पहले तक किसान जिस पराली को लेकर परेशान होते थे, खेतों में जला देते थे, अब उसे बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. एक्स्ट्रा इनकम के तौर पर एक एकड़ की पराली तीन से पांच हजार रुपये में बिक रही है. इससे किसानों का कटाई व कढ़ाई का खर्च पराली की बिक्री से ही निकल रहा है, जिससे किसान और सरकार दोनों बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में इस बार पराली के भाव बढऩे के कई कारण हैं. इस साल बारिश के कारण कई जिलों में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है जिस वजह से एक तो पराली भी कम है, और दूसरा कैथल जिले के गांव कांगथली में पराली से बिजली बनाने का बायोमास प्लांट शुरू हो चुका है. जिसको लेकर पराली की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है.

जींद जिले के गांव ढाठरथ और पानीपत में रिफाइनरी के पास भी बायोमास प्लांट अंतिम चरण में हैं. यहां बिजली उत्पादन के लिए लाखों टन पराली का स्टाक किया जा रहा है. सिर्फ कैथल प्लांट में ही साढ़े तीन लाख टन पराली इकट्ठी करने का टारगेट सेट किया गया है. इसके अलावा, राजस्थान में भी पशु चारे के लिए पराली की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है. बढ़ती मांग को देखते हुए जींद जिले में लाखों टन पराली का स्टाक सिर्फ राजस्थान में भेजने के लिए किया जा रहा है.

पराली की समस्या से छुटकारा पाते हुए पराली प्रबंधन के नोडल आफिसर नरेंद्र पाल कहते हैं कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते पूरे हरियाणा में हर साल पराली जलाने की संख्या में काफी कमी आई है. किसानों को पराली जलाने से जमीन को होने वाले नुकसान के बारे में  जागरूक किया जा रहा है. पिछले साल की बात करें तो जींद जिले में  24 अक्टूबर 2020  तक पराली जलाने के 241 केस सामने आया था, जबकि इस बार सिर्फ 49 केस मिले हैं.

सरकार कृषि यंत्र  पर दे रही  80 प्रतिशत सब्सिडी

पराली की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने किसानों को हर तरह से मदद करने का आश्वासन दिया था, जिसके तहत हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. किसान समितियों को 80 फीसदी सब्सिडी पर पराली की गांठें बनाने व इन्हें काटकर खेतों में मिलाने की मशीनें दी जा रही हैं.

आपको बता दें पराली की वजह से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित कई ऐसे राज्य हैं, जिन्हें प्रदूषित वायु में सांस लेना पड़ता था. जिस वजह से जनता लगातार सरकार पर अपना दवाब बनाई रहती थी. जिसके समाधान स्वरुप सरकार ने पराली की गांठ बनाने की मशीन रीपर बाइंडर की संख्या बीते एक साल में हर जिले में दोगुनी कर दी है. मशीनें देने के अलावा, सरकार ने किसानों को जागरूक भी किया. कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को पराली के वजह से हो रहे प्रदूषण के बारे में जागरूक किया, जिसका असर यह हुआ कि हरियाणा में इस बार पिछले साल की अपेक्षा पराली जलाने के केसों में एक-चौथाई से भी ज्यादा की कमी आई है.कैथल जिले के गांव से मिली खबर के मुताबिक पिछले साल पराली 1600 रुपये प्रति एकड़ बिकी थी. इस बार 4300 रुपये में पहले ही बुक हो चुकी है.

इसी तरह जींद के गांव शामलो कला के किसानों ने बताया कि रविवार से ही उन्होंने धान की कटाई शुरू की है, लेकिन 3000 रुपये प्रति एकड़ पराली खरीदने दो दिन पहले ही आ चुके हैं. हाथ की कटी हुई पराली का चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है.

English Summary: The problem of stubble has gone away, farmers are earning millions by selling stubble Published on: 25 October 2021, 05:29 PM IST

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