महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा/MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है. इसके तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MNREGA) के तहत काम करने वाले मजदूरों को एक खास तोहफा दिया है.
दरअसल, झारखड सरकार द्वारा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा दिया गया है. अब मनरेगा में 194 रुपए की जगह 225 रुपए न्यूनतम मजदूरी कर दी है. इसका लाभ झारखंड में सक्रिय 42 लाख मजदूरों को मिल पाएगा, लेकिन अब भी मनरेगा मजदूरों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी भुगतान के मामले में काफी पीछे है. बता दें कि देश में सबसे ज्यादा हरियाणा में मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दी जाती है. यहां 309 रुपए की दर से भुगतान दिया जाता है.
झारखंड में मनरेगा
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कुल मजदूर- 105.38 लाख
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एक्टिव मजदूर- 42.23 लाख
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कुल जाब कार्ड- 63.97 लाख
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कुल एक्टिव जाब कार्ड- 32.47 लाख
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न्यूनतम मजदूर- 194 रुपए (पहले)
आपको बता दें कि झारखंड सरकार के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है. महंगाई के दौर में 31 रुपए की वृद्धि कुछ नहीं है, लेकिन फिर भी वृद्धि करना अहम बात है, इसलिए राज्य सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. अब मनरेगा में काम करने वालों को रोजाना 225 रुपए का भुगतान किया जाएगा. इससे झारखंड के गांव-देहात में मनरेगा के प्रति मजदूरों का आकर्षण बढ़ पाएगा.
बता दें कि मनरेगा की असल समस्या फंड का अभाव है. कोरोना महामारी की वजह से गांव-देहात में मजदूरों की संख्या काफी बढ़ गई है, क्योंकि कई शहरों के मजदूर अपने-अपने गांव लौट आए हैं. ऐसे में उन्हें रोजी-रोजगार की जरूरत है, इसलिए वह मनरेगा के तहत काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अब भी मनरेगा के तहत 100 दिन की रोजगार नहीं मिल रही है. इसका कारण यह है कि सरकार की तरफ से फंड मुहैया नहीं हो पा रहा है. इस पर सरकार को खास ध्यान देना होगा.
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