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पोलियो बच्चों में होने वाली एक गंभीर बीमारी है. इसके होने का कारण वायरस (संक्रमण) है. यह वायरस (संक्रमण) या वायरस सुषुम्ना नाड़ी के एक भाग को क्षति पहुंचता है. भारत में पोलियो के सबसे ज्यादा मामले वर्ष 1981 में सामने आए थे. जिनकी कुल संख्या 40 हज़ार से ज्यादा थी, जो कि 1987 में घटकर 29 हज़ार से कम हो गयी है और 2010 तक मामले 100 से भी कम रह गए. बाकि देश में पोलियो का खतरा शुन्य हो गया लेकिन भारत के उत्तरप्रदेश और बिहार में पोलियो के कुछ मामले देखने को मिले. लेकिन, वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया है.
आज पूरे विश्व में पोलियो दिवस मनाया जा रहा है और हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमारा देश चार साल पहले 2014 में पोलियो मुक्त घोषित हो चुका है. परन्तु आज भी हमारे देश में पोलियो की दवाई पिलाई जाती है ताकि अगर कोई अन्य देश से कोई भी वायरस लेकर हमारे देश में प्रवेश करता है तो उसके खतरे को जड़ से पहले ही खत्म किया जा सके. अभी भारत में पोलियो को लेकर मॉनिटरिंग चल रही है और चलती रहेगी. पोलियो उन्मूलन के महाअभियान में 24 लाख पोलियो कार्यकर्ता, 1.5 लाख कर्मचारी, सालाना 1000 करोड़ रुपये का बजट, सालाना 6 से 8 बार पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम, हर कार्यक्रम में 17 करोड़ बच्चों को वैक्सीन देना की जानकारी के बारे में बताते है ताकि इस बीमारी को जड़ से उखाड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्थानीय सरकारों और जनता की भागीदारी काफी बड़े स्तर पर रही है. पोलियो अभियान की सफलता के कारण आज दुनिया में 16 मीलियन लोग अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हो पाए हैं, जो पोलियो के शिकार हो सकते थे.
मनीशा शर्मा, कृषि जागरण
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