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भुखमरी मिटाने का लक्ष्य वर्ष 2030 तक

परिवर्तन समय की आवश्यकता है. भारत एक कृषि प्रधान देश के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका था. देश की आजादी से लेकर आजतक हम एक कृषि प्रधान देश के एक दर्जे की तरह ही आगे बढ़ रहे थे. हरित क्रांति और श्वेत क्रांति से देश खानपान में आत्मनिर्भर होता चला गया. जमाना बदला, परिवार बिखरे, जमीन बटी, मझोले और छोटे किसानो की तादाद भी बढ़ गयी. कुछ पड़े लिखे परिवारों से युवा ने खेतीबाड़ी छोड़ कुछ और कामधंदे को अपनाया.

परिवर्तन समय की आवश्यकता है. भारत एक कृषि प्रधान देश के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका था. देश की आजादी से लेकर आजतक हम एक कृषि प्रधान देश के एक दर्जे की तरह ही आगे बढ़ रहे थे. हरित क्रांति और श्वेत क्रांति से देश खानपान में आत्मनिर्भर होता चला गया.

जमाना बदला, परिवार बिखरे, जमीन बटी, मझोले और छोटे किसानो की तादाद भी बढ़ गयी. कुछ पड़े लिखे परिवारों से युवा ने खेतीबाड़ी छोड़ कुछ और कामधंदे को अपनाया. लेकिन इस बीच कुछ ऐसे नौजवान भी थे जिन्होंने खेती की जरूरत को समझा और आने वाले समय जैसे की 2030 में कितनी आबादी होगी और हमें कितने खादय की आवश्यकता की मधय नजर एग्रीस्टारटूप्स की और कदम बढ़ाये. इसके अच्छे परिणाम तो आएंगे ही यह समय ही बताएगा.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने विश्व खाद्य दिवस 16 अक्तूबर, 2018 के अवसर पर पूसा, नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय एग्री स्टार्टअप एंड इंटरप्रेनियरशिप कॉन्क्लेव में कहा कि इस वर्ष खाद्य दिवस मनाने का मकसद वर्ष 2030 तक भुखमरी मिटाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है.

उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वर्तमान सरकार इस दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है. इस मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री परशोत्तम रुपाला, डा. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप, श्री छबिलेन्द्र राउल, विशेष सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप) और श्री बिम्बाधर प्रधान, अतिरिक्त सचिव एवं वित्त सलाहकार (भाकृअनुप) भी मौजूद थे.

कृषि मंत्री ने बताया कि भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित तकनीकों और किसानों का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष 2017-18 में चैथे अग्रिम आकलन के अनुसार, खाद्यान्न उत्पादन 284.83 मिलिटन टन है. इस अवसर पर श्री परशोत्तम रुपाला ने कहा कि देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भरता से एक खाद्यान्न निर्यातक देश के तौर पर उभर रहा है.

भाकृअनुप के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि दलहनी फसलों की उपज में बढ़ोतरी होने से देश अब दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि किसान का संपर्क बाजार में होना जरूरी है ताकि उनकी आमदनी दोगुनी की जा सके. उन्होंने आगे कहा कि इस कॉन्क्लेव में युवा कृषि उद्यमियों की समस्याओं और उनके निदान पर विचार किया जाएगा.

छबिलेन्द्र राउल, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप) ने कहा कि नवोन्मेषी तकनीकों को किसानों तक पहुंचाया जाना चाहिए ताकि उनकी आय दोगुनी करने में मदद की जा सके.

चंद्र मोहन, कृषि जागरण

English Summary: Destruction of starvation by year 2030 Published on: 24 October 2018, 02:27 PM IST

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