गोवा के मडगांव में तीन दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल सीफूड शो में हिस्सा लेने वाले समुद्री खाद्य निर्यातकों ने कहा कि केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) के बारे में काफी समस्याओं का समाधान किया है, लेकिन अभी भी कई जीएसटी प्रावधान अस्पष्ट हैं, जिसके कारण उनका व्यवसाय बाधित हो रहा है।
समुद्री उत्पादों के प्रसंस्करण और निर्यात के विभिन्न पहलुओं के समाधान से संबंधित तकनीकी सत्र में भाग लेते हुए इन समुद्री खाद्य निर्यातकों ने कहा कि वे केंद्र और राज्य स्तर के कई करों को सिर्फ एक जीएसटी में विलय कर देने से खुश हैं यद्दपि उन्हें नई प्रणाली की बारीकियों को समझने में मुश्किल आ रही थी।
इन निर्यातकों ने कहा कि हालांकि सरकार ने कर वापसी की प्रक्रिया को स्पष्ट और सरल बनाया है लेकिन निर्यातकों को अभी तक रिफंड प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई थी। इन निर्यातकों के अनुसार अन्य पेंचीदे मुद्दे व्यापारी निर्यातकों के गोदाम और ड्राबैक बेनिफिट लेने से संबंधित हैं जो राज्य जीएसटी से संबंधित न होकर केंद्रीय जीएसटी से संबंधित हैं।
इन संदेहों के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए, व्यापार कानून विशेषज्ञ, कार्तिक आई.वी.आर. एन ने कहा कि निर्यात से संबंधित कई जीएसटी प्रावधानों के संबंध में स्पष्टता की जरूरत है। समुद्री उत्पादों के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए सक्षम जीएसटी प्रणाली महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) और सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआई) ने 2022 तक 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है।
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज़ टेक्नोलॉजी, कोच्चि के निदेशक डॉ. सी. एन. रविशंकर ने शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए समुद्री खाद्य प्रसंस्करण की नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया। इन प्रौद्दोगिकियों से किसानों को उनके उपज के लिए लाभकारी मूल्य हासिल करने में मदद मिल सकती है।
निट्टी विश्वविद्यालय, मंगलुरु के वरिष्ठ निदेशक (अंतरराष्ट्रीय संबंध) डॉ. आई. करुणासागर ने प्रमुख बाजारों में समुद्री खाद्य सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं विहंगावलोकन प्रस्तुत किया। डॉ. करुणासागर दो दशकों तक संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के साथ जुड़े थे।
आज समाप्त हो रहे सीफूड शो का आयोजन एमपीईडीए और एसईएआई द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसमें देश और विदेश से लगभग तीन हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
अपोलो एक्वेरियम, सिंगापुर के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) लिम मेन्ग हुआट ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीवित झींगा और मछली की मांग बढ़ रही है और इस कारण ऐसी नवीनतम प्रौद्दोगिकियों को अपनाया जाना जरूरी है जिसके माध्यम से समुद्री उत्पादों को जीवित अवस्था में ही पहुंचाया जा सके।
विभूति नारायण
कृषि जागरण नई दिल्ली
Share your comments