
गुजरात के सूरत में शहरवासियों के लिए सेहत और सस्टेनेबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. वेसु क्षेत्र में सूरत का पहला "प्राकृतिक खेती किसान बाजार" सोमवार यानि 7 अप्रैल 2025 को राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा उद्घाटित किया गया. यह बाजार सूरत महानगरपालिका और जिला पंचायत के संयुक्त प्रयास से एसडी जैन कॉलेज के पास स्थापित किया गया है. इस बाजार की सबसे खास बात यह है कि यहां केवल वही किसान अपना सामान बेच सकेंगे, जो प्राकृतिक या ऑर्गेनिक खेती करते हैं.
बाजार सप्ताह में दो दिन—बुधवार और रविवार को सुबह 8 बजे से 11 बजे तक खुला रहेगा. इसमें 70 किसानों को स्थान दिया गया है, जो रसायनमुक्त खेती कर रहे हैं.
प्राकृतिक खेती: रोगों से बचने का रास्ता
उद्घाटन समारोह में राज्यपाल ने कहा, “बीते कुछ वर्षों में राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं. प्राकृतिक खेती ही इसका स्थायी समाधान है.” उन्होंने बताया कि कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारियां अब बच्चों में भी देखी जा रही हैं और इसका एक बड़ा कारण रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल है.
बीमारी पर खर्च से बेहतर है, प्राकृतिक उपज पर निवेश
राज्यपाल ने सूरत के नागरिकों से अपील की कि वे इस बाजार में बड़ी संख्या में आएं और प्राकृतिक खेती से उपजी चीजें खरीदें. उन्होंने कहा “अगर लोग अस्पताल के खर्च की जगह प्राकृतिक उत्पादों पर खर्च करेंगे, तो वे स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जी पाएंगे”.
राष्ट्रीय मिशन बना प्राकृतिक खेती
गवर्नर ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘प्राकृतिक खेती मिशन’ को राष्ट्रीय मिशन घोषित किया है और इसके लिए केंद्रीय बजट में 1,481 रुपए करोड़ का प्रावधान किया गया है.
उत्पादों की प्रदर्शनी और अस्थायी बाजार समय-समय पर लगाए जाते रहे हैं. लेकिन नागरिकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए अब एक स्थायी सुविधा विकसित की गई है, जो न केवल लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेगी, बल्कि किसानों को भी एक मजबूत मंच प्रदान करेगी.
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