यह कहना वाजिब नहीं रहेगा कि लॉकडाउन की वजह से महज समाज का एक तबका ही प्रभावित हुआ है, बल्कि इससे समाज का एक संपूर्ण तबका ही प्रभावित हुआ है. वहीं, अगर कृषि क्षेत्र में हुए इस प्रभाव की बात करें, तो कोरोना की पहली लहर के दौरान अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि क्षेत्र खुद को काफी हद तक संभालने में कामयाब रहा था, मगर दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के सर्वाधिक प्रभाव ग्रमीण इलाकों में देखे जा रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के दृष्टिगत देश की सभी मंडियों में ताला लग चुका है, जिसके चलते किसान भाइयों को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा हैं. नतीजतन, किसान भाई औने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचने पर मजबूर हो चुके हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों का दर्द
कुछ ऐसा ही दर्द जम्मू-कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों का भी है. उनकी फसलों को भी वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि यूं तो इस वर्ष उपयुक्त जलवायु की वजह से स्ट्रॉबेरी की खेती में 30 से 40 फीसद का इजाफा हुआ है, मगर लॉकडाउन की वजह से मंडियां उपलब्ध नहीं हो पा रही है, लिहाजा किसान भाई कम कीमत पर ही अपनी फसलों को बेचने पर मजबूर हो चुके हैं. किसानों के मुताबिक, वे 15 फीसद के नुकसान पर अपनी फसलों को बेच रहे हैं और उनकी फसल दूसरे इलाकों में भी नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में किसान भाइयों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि फसलों में लगने वाले लगात को कैसे प्राप्त किया जाए.
बता दें कि स्ट्रॉबेरी जल्द ही खराब होने वाली फसलों में शामिल है, जिसको ध्यान में रखते हुए अगर इसे अतिशीघ्र ही बाजार में नहीं भेजा गया, तो यह खराब हो जाती हैं. वहीं, इस लॉकडाउन की वजह से प्रदेश में सब कुछ बंद चल रहा है और मंडियों में किसान भाइयों की फसलों की आवक नहीं हो पा रही है और उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में अब आगे चलकर किसान भाई क्या कुछ कदम उठाते हैं. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. जम्मू-कश्मीर के स्थानीय किसान अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि इससे पहले वे पारंपरिक फसलों के खेती किया करते थे, लेकिन जब उन्हें इससे कोई खास मुनाफा प्राप्त नहीं हुआ, तो उन्होंने इस तरह की फसलों की खेती करना शुरू कर दिया, जिससे किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा भी प्राप्त कर रहे हैं.
वहीं, किसानों की इन्हीं सब समस्याओ को ध्यान में रखते उद्दान विभाग के निदेशक ऐजाज अहमद भट ने बताया कि किसानों को बाजार में अपनी फसलों को बेचने में जरूर दिक्कत हुई है और अभी-भी काफी हद तक हो रही है, लेकिन हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिससे किसान भाइयों को इन सब समस्याओं से निजात मिल सके.
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