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खेती को सटीक, टिकाऊ और सुरक्षित बनाने में स्मार्ट टेक्नोलॉजी आवश्यक : ICAR-डीजी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा है कि स्मार्ट कृषि या सटीक खेती फसल उत्पादन का भविष्य है, इससे खेती टिकाऊ बनाएगी और खाद्य सुरक्षा को पूरा करने के साथ सभी बढ़ती जरूरतों को भी पूरा करेगी.

मोहित नागर
“Smart Technologies for Sustainable Agriculture and Environment” (Photo Credit- By Arrangement)
“Smart Technologies for Sustainable Agriculture and Environment” (Photo Credit- By Arrangement)

गुरुवार को हैदराबाद में इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रो-फिजिक्स (ISAP) के सहयोग से ICAR-सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (ICAR-CRIDA) द्वारा "टिकाऊ कृषि और पर्यावरण के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजीज" के विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गय है. यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा है कि स्मार्ट कृषि या सटीक खेती फसल उत्पादन का भविष्य है, इससे खेती टिकाऊ बनाएगी और खाद्य सुरक्षा को पूरा करने के साथ सभी बढ़ती जरूरतों को भी पूरा करेगी.

कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में टेक्नोलॉजी का सहयोग

हिमांशु पाठक ने, खाद्य उत्पादन के हर पहलू में फैली विभिन्न तकनीकों को विकसित करने में शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है. उन्होंने कहा कि सटीक खेती में कृषि उत्पादकता को लगातार बढ़ाने के लिए GIS, रिमोट सेंसिंग, GPS और उपग्रहों जैसी अंतरिक्ष अनुप्रयोग प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. सेमिनार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत डॉ. हिमांशु पाठक ने डिजिटल कृषि की भूमिका पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि, कृषि में ड्रोन जैसी स्मार्ट टेक्नोलॉजी अनुप्रयोगों के लिए आईसीएआर और भारत सरकार जैसे संगठनों से फंडिंग में बढ़ोतरी हुई है.

कृषि को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का महत्व

ICRISAT की महानिदेशक डॉ. जैकलीन ह्यूजेस ने सेमिनार में शुष्क भूमि कृषि के महत्व और शुष्क भूमि किसानों को लाभ पहुंचाने वाली जलवायु-स्मार्ट टेक्नोलॉजी के उपयोग के बारे में जानकारी दी है. इसके अलावा उन्होंने खेती के टिकाऊ भविष्य के लिए अनुसंधान को व्यावहारिक प्रौद्योगिकियों में बदलने के बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के महत्व पर भी जोर दिया है.

सेमिनार में ICAR-CRIDA के निदेशक डॉ.वी.के.सिंह ने बताया कि नई प्रौद्योगिकियां पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में कैसे मदद कर सकती हैं. ISAP की सचिव डॉ.प्रगति प्रमाणिक मैती ने कृषि-भौतिकी के महत्व और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), रिमोट सेंसिंग, परिवर्तनीय दर प्रौद्योगिकी (VRT), सेंसर और फसल मॉड्यूल के उपयोग पर प्रकाश डाला है.

ड्रोन और वीआरटी का उपयोग किसानों के लिए फायदेमंद

वहीं किसानों को लाभान्वित करने वाले विभिन्न नवाचारों का उल्लेख करते हुए, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान और प्रबंधन अकादमी (NAARM) के निदेशक डॉ. चौधरी श्रीनिवास राव ने कहा कि, छिड़काव के लिए ड्रोन और सटीक पोषक तत्व प्रबंधन के लिए वीआरटी का उपयोग करना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि, पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखते हुए कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रगति और नवीन दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

आपको बता दें, सेमिनार का मुख्य फोकस कृषि के डिजिटलीकरण के मुख्य पहलुओं पर था, जिसमें अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों को कृषि उत्पादन प्रणाली और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में एकीकृत किया गया है, इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बड़े डेटा एनालिटिक्स, ड्रोन, रिमोट सेंसिंग, सेंसर और संचार नेटवर्क शामिल रहे हैं.

English Summary: smart technology necessary to make farming precise sustainable and safe icar dg Published on: 23 February 2024, 11:48 AM IST

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