1. Home
  2. ख़बरें

Apple News Variety: बागवान होंगे मालामाल! वैज्ञानिकों ने तैयार की सेब की नई किस्म, सिर्फ दो महीने में मिलेगी पैदावार

Apple News Variety: बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (हिमाचल) के वैज्ञानिकों ने सेब की एक स्वदेशी किस्म बड़ म्यूटेशन की पहचान की है. खास बात है कि सेब की यह किस्म सामान्य किस्मों से दो माह पहले फसल देगी.

बृजेश चौहान
नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तैयार की सेब की नई किस्म.
नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तैयार की सेब की नई किस्म.

Apple News Variety: हिमाचल के बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों ने सेब की एक स्वदेशी किस्म बड़ म्यूटेशन की पहचान की है. खास बात है कि सेब की यह किस्म सामान्य किस्मों से दो माह पहले फसल देगी. इसका रंग भी सुर्ख लाल होगा. इस किस्म के सेब में रंग आने के लिए धूप की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी और धुंध-कम धूप वाले क्षेत्रों में आसानी से तैयार हो सकेगा. मौजूदा समय में जो सेब तैयार होता है, उस पर कम धूप और धुंध का काफी प्रभाव पड़ता है. नई किस्म पर नौणी विवि चार साल से शोध कर रहा है.

नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि जल्दी तैयार होने और सुर्ख लाल रंग के चलते सेब की बाजार में भी अधिक मांग रहेगी. प्रो. चंदेल ने बताया कि विवि के शिमला के मशोबरा स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के सह निदेशक डॉ. दिनेश ठाकुर की अध्यक्षता में सेब की नई किस्में विकसित करने पर शोध चल रहा है. इसी क्रम में डिलीशियस किस्मों में होने वाले कलिका उत्परिवर्तन (बड म्यूटेशन) पर शोध चल रहा है. इसमें प्राकृतिक उत्परिवर्तन से चयनित स्थायी अर्ली कलरिंग स्ट्रेन का विकास किया गया. इसे 1800 मीटर की ऊंचाई पर उगाई जाने वाली 35 साल की आयु वाले वांस डिलीशियस किस्म से चयनित किया गया है.

वांस डिलीशियस में कलर आने में लगता है समय

वांस डिलीशियस किस्म की तुलना में अगली कलरिंग स्ट्रेन की खासियत है कि इसमें फल दो महीने पहले ही पूर्ण रूप से गहरे लाल रंग में विकसित हो जाता है. जबकि इसकी मदर किस्म वांस डिलीशियस की सतह पर धारदार रंग विकसित होता है. इसमें सामान्य किस्मों से पहले ही फूल आ जाते हैं. अभी प्रदेश में जो सेब पैदा होता है, उसमें फ्लावरिंग के बाद फसल तैयार होने में करीब 90 से 120 दिन लगते हैं. बताया कि इस किस्म के व्यावसायिक बागवानी में सफल होने की उम्मीद है. वजह यह है कि इस किस्म का चयन पहले से शीतोष्ण जलवायु में अनुकूलित किस्म से किया गया है. विकसित की जा रही नई किस्म में वातावरण बदलाव को सहन करने की भी क्षमता होगी.

English Summary: scientists of nauni-university-discovered-new-variety-of-apple-crop-will-be-available in two-months Published on: 13 December 2023, 03:41 PM IST

Like this article?

Hey! I am बृजेश चौहान . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News