पंतनगर विश्वविद्यालय में सब्जी विज्ञान विभाग एवं उद्यान विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ‘उद्यान में नवोन्मेश : उत्पादन से सेवन’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का कृषि महाविद्यालय के सभागार में मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. जे कुमार ने उद्घाटन किया। कुलपति, डा. जे. कुमार, ने कहा कि देश में बढ़ते हुए उपभोक्ताओं की आवशयकता की पूर्ति हेतु बागवानी में नई तकनीक द्वारा नवीनता लाते हुए उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी ही सबसे अच्छा स्रोत है, जिससे किसान अपने जीवन स्तर को सुधारने में सफल हो सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपेक्षा की कि वे किसानों को अधिकतम लाभ प्राप्त कराने हेतु उन्हें नयी तकनीक व प्रषिक्षण प्रदान करेंगे।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. एन.एस. मूर्ति, ने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में नवीनता लाते हुए उन्नतशिल किस्मों का चयन तथा किसानों को प्रशिक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अधिकतम उत्पादन एवं अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु नई तकनीके किसानों तक पहुंचायी जाएं। विश्वविद्यालय के निदेशक शोध, डा. एस.एन. तिवारी, ने कहा कि इस संगोष्ठी की संस्तुतियों से किसानों को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में किसान अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु अधिकतम मात्रा में कीटनाशक, खरपतवार नाशक, फफूंद नाशक रसायनों का छिड़काव करते हैं, जिससे मानव जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है, यह कम होना चाहिए। इसके लिये उन्होंने ऐसी प्रजातियों को विकसित करने पर जोर दिया जिनपर कम से कम रसायनों का प्रयोग करके अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
इस कार्यक्रम में डा. ए. पटनायक निदेशक, विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा तथा डा. विशाल नाथ, निदेशक, लीची पर राष्ट्रीय शोध केन्द्र, मुजफ्फरपुर, बिहार एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों सहित देश के लगभग 300 वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भाग लिया। सब्जी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष, डा. मनोज राघव, ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में सभी अतिथियों व वैज्ञानिकों का स्वागत किया तथा अन्त में उद्यान विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष, डा. रंजन श्रीवास्तव, ने वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम की रूप रेखा भी सबके समक्ष रखी। कार्यक्र्रम का संचालन डा. अलका वर्मा, सहायक प्राध्यापक, सब्जी विज्ञान विभाग, ने किया।
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