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कद्दूवर्गीय फसलों के अच्छा उत्पादन हेतु कृषकों को वैज्ञानिक सलाह

कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना ( मध्य प्रदेश) के डॉ. बी. एस किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख एवं डॉ. आर. के जायसवाल वैज्ञानिक द्वारा गांव जनवार में सब्जीत्पादक कृषकों मनमोहन कुशवाह, लक्ष्मीप्रसाद, होतराम एवं कोमल बाई के खेतों में कद्दूवर्गीय (गिल्की, लौकी, खीरा, भिण्डी) एवं बैंगन आदि फसलों का अवलोकन किया गया।

कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना ( मध्य प्रदेश) के डॉ. बी. एस किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख एवं डॉ. आर. के जायसवाल वैज्ञानिक द्वारा गांव जनवार में सब्जीत्पादक कृषकों मनमोहन कुशवाह, लक्ष्मीप्रसाद, होतराम एवं कोमल बाई के खेतों में कद्दूवर्गीय (गिल्की, लौकी, खीरा, भिण्डी) एवं बैंगन आदि फसलों का अवलोकन किया गया। बैंगन टमाटर एवं भिण्डी में फल भेदक कीट की समस्या देखी गई। उसके नियंत्रण हेतु इमामेक्टीन बेन्जोईट 80 ग्राम या क्यूनॉलफॉस 20 प्रतिशत + साइपरमेथ्रिन 3 प्रतिशत ई. सी. या नोवालुरॉन 10 प्रतिशत ई.सी., 250 मि.ली. प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

कृषकों ने कद्दूवर्गीय फसलों में एक प्रमुख समस्या फूल एवं फल गिरने की बताई गई। इसका मुख्य कारण पौधों पर नर फूलों की संख्या अधिक होना है किसानों को मादा फूलों की संख्या और फल का आकार बढ़ाने हेतु वृद्धि नियामक इथरेल का उपयोग करना लाभकारी होगा। सब्जियों में छिड़काव करने के लिए इथरेल का 250 पी.पी.एम. का घोल बनाने हेतु आधा मिली. इथरेल प्रति लीटर पानी में घोलना चाहिए। कद्दूवर्गीय फसलों में सहारा देना अति आवश्यक है। जिससे फल अधिक एवं गुणवत्तापूर्ण मिलते हैं। पौधों को सहारा देने के लिए बांस के 1.5 मी. ऊंचाई के टुकड़े करके 3-5 मी. की दूरी पर गाड़ देना चाहिए। उसके बाद जी. आई. तार को एक दूसरे से बांध देते है। उसके सहारे पौधों की बेलों को सुतली से बांधकर चढ़ा दिया जाता है। खीरा, गिलकी, करेला, लौकी आदि सब्जियों को सहारा देना अति आवश्यक है।

English Summary: Scientific advice to creations for good production of cucumber crops Published on: 25 June 2018, 12:03 AM IST

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