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मौसम ने बदली खेती! दलहनी-तिलहनी और मोटे अनाजों की बुवाई में तेजी, गेहूं और धान का रकबा हुआ थोड़ा कम, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Rabi Crop Area Coverage: कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, रबी फसलों का कुल रकबा एक साल पहले के 115.83 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 120.50 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं गेहूं की बुआई 18.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर की गई है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 20.65 लाख हेक्टेयर था.

विवेक कुमार राय
रबी फसलों की बुआई में तेजी, गेहूं का रकबा हुआ कम
रबी फसलों की बुआई में तेजी, गेहूं का रकबा हुआ कम

रबी फसलों की बुआई में गति इस सप्ताह भी जारी रही, हालांकि गेहूं और चावल का रकबा एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले कम रहा. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, रबी फसलों का कुल रकबा एक साल पहले के 115.83 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 120.50 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी और अक्टूबर में देश के 60 फीसदी हिस्से में बारिश की कमी के कारण गेहूं और चावल की बुआई शायद धीमी हो गई है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में  देश में 1901 के बाद छठी सबसे कम बारिश हुई. उत्तर-पूर्वी मानसून, जो अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में आया था, अभी तक गति नहीं पकड़ पाया है और अगले सप्ताह अधिक बारिश होने की संभावना है.

गेहूं की रकबे में गिरावट

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की बुआई 18.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर की गई है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 20.65 लाख हेक्टेयर था. पंजाब में रकबा 2.11 लाख हेक्टेयर अधिक था. यह एक वर्ष पहले इस समय तक शुरू नहीं हुआ था. लेकिन कवरेज मध्य प्रदेश में 12.83 लाख हेक्टेयर (एक साल पहले 13.89 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश में 2.02 लाख हेक्टेयर (4.13 लाख हेक्टेयर) और अन्य राज्यों में 1.37 लाख हेक्टेयर (2.62 लाख हेक्टेयर) पर पिछड़ गया.

चावल के रकबे में गिरावट

धान का रकबा एक साल पहले के 6.11 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 5.56 लाख हेक्टेयर रह गया. सुस्त प्रवृत्ति ऐसे समय में आई है जब 31 अक्टूबर तक खरीफ चावल उत्पादन में 3.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है और चावल की खरीद एक साल पहले की अवधि की तुलना में 9 प्रतिशत कम है. रबी धान का अधिकांश कवरेज तमिलनाडु से है, जहां 5.18 लाख हेक्टेयर को खाद्यान्न के अंतर्गत लाया गया है. आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में, जहां भंडारण स्तर सामान्य से नीचे है, एकड़ क्रमशः 10,000 हेक्टेयर और 1,000 हेक्टेयर है.

दलहनी फसलों के रकबे में बढ़ोतरी

वर्तमान में कम ख़रीफ़ उत्पादन के कारण फ़सलों की अच्छी क़ीमतों के बाद दलहन का रकबा बढ़ रहा है. अब तक, एक साल पहले के 37.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 38.15 लाख हेक्टेयर कवर किए जा चुके हैं. हालांकि कम, दालों की बुआई का एक बड़ा हिस्सा चने से प्राप्त हुआ है, जिसकी बुआई 26.32 लाख हेक्टेयर (27.86 लाख हेक्टेयर) हुई है. मसूर (5.56 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 4.17 लाख हेक्टेयर) और मटर (3.50 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.52 लाख हेक्टेयर) का क्षेत्रफल अधिक है. उड़द (काला) का कवरेज 0.56 लाख हेक्टेयर (0.95) और मूंग का कवरेज पीछे रह गया.

दालों को लेकर चिंता की बात यह है कि महाराष्ट्र सूखे के दौर से गुजर रहा है और जलाशयों का स्तर सामान्य से नीचे है, अगर राज्य में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो फसलों को नुकसान हो सकता है. राज्यों में, मध्य प्रदेश (13.29 लाख हेक्टेयर) में दालों का कवरेज बेहतर है, इसके बाद राजस्थान (8.99 लाख हेक्टेयर) और कर्नाटक (6.12 लाख हेक्टेयर) का स्थान है.

मिलेट्स यानी श्री अन्न का रकबा बढ़ा

वर्तमान में ज्वार और मक्के का रकबा क्रमशः 8.93 लाख हेक्टेयर (4.90 लाख हेक्टेयर) और 1.80 लाख हेक्टेयर (1.69 लाख हेक्टेयर) है. बाजरा के रकबा 2,000 हेक्टेयर है जिसमें कोई बदलाव नहीं है. कुल मिलाकर, श्री अन्न या मोटे अनाज का कवरेज एक साल पहले के 7.78 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 11.21 लाख हेक्टेयर है. इन फसलों की बुआई में अब तक 5.60 लाख हेक्टेयर के साथ महाराष्ट्र सबसे आगे है, इसके बाद कर्नाटक (3.15 लाख हेक्टेयर) और तमिलनाडु (1.81 लाख हेक्टेयर) का स्थान है.

ये भी पढ़ें: 14 फसलों पर MSP देने वाला पहला राज्य बना हरियाणा, इन योजनाओं से भी किसान उठा रहे लाभ

तिलहनी फसलों की रकबे में बढ़ोतरी

तिलहनी फसलों की बुआई, जिसका उत्पादन ख़रीफ़ के दौरान 17 प्रतिशत घट गया, एक साल पहले के 43.64 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 47.53 लाख हेक्टेयर हो गया. इसमें से सरसों/रेपसीड कवरेज 45.74 लाख हेक्टेयर (43.64 लाख हेक्टेयर) है. हालांकि, मूंगफली और कुसुम का रकबा पीछे रह गया.

राजस्थान, जहां सबसे ज्यादा सरसों उगाई जाती है. वहां पर 22.74 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश में 12.98 लाख हेक्टेयर और मध्य प्रदेश में 9 लाख हेक्टेयर रकबे में खेती हुई है.

वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने अनुमान लगाया है कि नवंबर गर्म रहेगा और देश पर अल नीनो का प्रभाव जारी रहेगा. प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के गर्म होने के कारण होने वाला अल नीनो संभवतः जून 2024 तक बना रहेगा और यह घटना मार्च 2024 तक गंभीर रहेगी.

English Summary: report of Rabi crop area coverage Sowing area of wheat paddy pulses oilseeds and coarse grains millets Published on: 04 November 2023, 01:47 PM IST

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