
भारत में खेती केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि जीवनशैली और परंपरा है. किसानों की मेहनत से ही देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है. लेकिन कुछ असामाजिक तत्व नकली बीज, खाद और कीटनाशक बेचकर न सिर्फ किसानों की मेहनत को बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि उनकी आजीविका को भी खतरे में डाल रहे हैं. सरकार ने किसानों को जागरूक करने और उन्हें सतर्क करने के लिए एक सशक्त अभियान की शुरुआत की है, जिसमें स्पष्ट संदेश है - "उन्हें नजरअंदाज ना करें." नकली उत्पादों की सूचना तुरंत किसान कॉल सेंटर पर दर्ज कराएं और सुरक्षित खेती सुनिश्चित करें.
नकली उत्पादों से नुकसान
किसानों को अच्छी पैदावार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज, खाद और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है. लेकिन जब ये सामग्री नकली होती है, तो:
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फसलें नष्ट हो जाती हैं या अपेक्षित पैदावार नहीं देतीं.
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किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
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भूमि की उपजाऊ शक्ति पर भी बुरा असर पड़ता है.
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कभी-कभी खाद और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं.
यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक गंभीर होती है, जहां किसानों के पास नकली और असली उत्पादों की पहचान के साधन सीमित होते हैं.
सरकार की पहल: किसान कॉल सेंटर
किसानों की सुरक्षा के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक किसान कॉल सेंटर (Kisan Call Center) शुरू किया है. यदि किसी किसान को नकली बीज, खाद या कीटनाशक के बारे में कोई जानकारी मिले, तो वह तत्काल इस केंद्र पर शिकायत दर्ज कर सकता है.
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टोल फ्री नंबर: 1800-180-1551
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समय: सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक
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सेवा: पूरी तरह मुफ्त, भरोसेमंद और किसान हितैषी
सरकार का यह कदम किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा प्रयास है.
क्या करें किसान?
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खरीदारी करते समय अधिकृत दुकानों से ही बीज, खाद और कीटनाशक खरीदें.
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बिल अवश्य लें और उत्पाद की पैकेजिंग और मैन्युफैक्चरिंग डिटेल ध्यान से पढ़ें.
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किसी भी तरह का संदेह हो तो तुरंत किसान कॉल सेंटर पर शिकायत दर्ज कराएं.
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अपने आस-पास के अन्य किसानों को भी जागरूक करें.
याद रखें - सतर्क किसान ही सुरक्षित किसान है
यह संदेश केवल एक विज्ञापन नहीं, बल्कि चेतावनी है. सरकार, विशेषज्ञ और कृषि विभाग मिलकर तब ही किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, जब किसान स्वयं जागरूक और सतर्क रहें. नकली उत्पादों से लड़ाई में प्रत्येक किसान की भागीदारी जरूरी है. एक कॉल, एक रिपोर्ट, कई किसानों की मेहनत बचा सकती है.

अधिक जानकारी के लिए: अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करें या QR कोड स्कैन करें.
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