उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में मतदान का सिलसिला शुरू हो चुका है. इस कोरोना काल के बीच भी राज्यों में मतदान जोरो शोरो से चल रहा है. राज्यों में चुनाव के माहौल को देखते हुए किसान संगठन ने हाल ही में एक नया ऐलान किया.
आपको बता दें कि भाकियू की मासिक पंचायत में भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर वार करते हुए एक और बड़ा बयान दिया है.
मतदान गणना के दौरान भाजपा के वोटों की गिनती को 15 हजार से शुरू किया जाएगा और वहीं दूसरी पार्टी की गिनती शून्य से शुरू होगी. इसके अलावा उन्होंने किसानों के गन्ना भुगतान को डिजिटल करने की मांग भी की. उन्होंने यह भी कहां की मतगणना के दौरान सभी किसान शांति बनाए रखेंगे. किसी भी तरह का कोई आंदोलन व प्रदर्शन नहीं किया जाएगा.
उधर, भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने भी इस विषय पर अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मतदान के वक्त संगठन की मजबूती पर जोर दिया जाएगा, जिससे किसान अपनी हक के लिए आवाज उठा सके. इसके अलावा उन्होंने किसानों व आम लोगों से पानी का भी उचित इस्तेमाल करने को कहा. जल बचाओ देश को आगे बढ़ाएं. यहीं नहीं नरेश टिकैत ने हाल ही दुर्घटना में हुई दो बच्चों की मृत्यु पर भी दुख जताते हुए कहा कि बाइक पर दो से अधिक सवारियां ना बैठे. इसे दुर्घटना होना है खतरा बना रहता है. साथ ही उन्होंने होल के त्योहार को चुनावी दल और किसानों से जोड़ते हुए कहा कि देखते है कि इस बार की होली किसकी मनती है. हमारी या सरकार की.
राकेश टिकैत ने किसानों के हौसले को बढ़ाया (Rakesh Tikait boosted the spirits of the farmers)
राकेश टिकैत ने किसानों के हौसले को बढ़ते हुए कहा कि 17 दिनों तक चुप रहो, क्योंकि 17 दिन के बाद राज्यों में चुनाव के परिणाम आ जाएंगे. इसके बाद ही हम सब मिलकर देखते है कि हमें आगे क्या करना है. जब तक आप लोग शांति बनाए रखें. उन्होंने यह भी कहां कि जैसे 14 दिन की जेल होती है, ठीक उसी तरह से 17 दिन की शांति कर लो.
किसानों की मांग (Farmers' demand)
जिस तरह से देश डिजिटल में तरक्की कर रहा है. तो इस डिजिटलकरण का किसानों को भी फायदा होना चाहिए. किसानों का कहना है कि गन्ने की फसल का भी भुगतान डिजिटल होना चाहिए. गन्ने का रेट, वेट व क्वालिटी को देखकर गन्ने का भुगतान करें और यह भुगतान जब तक किसान अपने घर पहुंचे उसके खाते में कर दें. जिससे की किसानों को अपनी फसल के लाभ के लिए भटकना न पड़े. जिस तरह से गन्ना पर्ची का एक कैलेंडर जारी किया जाता है. ठीक उसी तरह से डिजिटल से होने वाले गन्ना भुगतान के लिए एक कैलेंडर जारी करें.
इसके अलावा राज्य में चल रही एमएसपी घोटालों पर भी सरकार जल्द कार्रवाई शुरू करें. भारत सरकार ने किसानों को बहुत से वादे किए थे, लेकिन उन वादे में से बहुत ही कम पर सरकार के द्वारा काम किया जा रहा. ऐसी बहुत सी पॉलिसी है जिससे किसानों को बहुत फायदा होगा, लेकिन सरकार उन सभी पॉलिसी को भूल गई है. अब बस इंतजार है तो चुनाव के परिणामों का फिर उसके बाद देखते है कि सरकार के द्वारा किसानों की भलाई के लिए क्या कदम उठाती है.
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