रबी सीजन 2022 के लिए अलग-अलग राज्यों में फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. हरियाणा छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गुजरात समेत देश के सभी हिस्सों किसान फसलें बोने में व्यस्त हैं.
इस वर्ष रहे असामान्य मानसून ने कई राज्यों में कहर बरपाया तो वहीं राजस्थान जैसे राज्यों के लिए वरदान भी साबित हुआ है. रबी सीजन में फसलों की बुवाई के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि राजस्थान में इस वर्ष रबी फसलों की बुवाई में पिछले वर्षों की इसी अवधि तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं.
राज्य के 15 लाख हेक्टेयर में अब तक की गई रबी फसलों की बुवाई
राजस्थान एक प्रमुख कृषि पर निर्भर राज्य है. यहां के अधिकांश लोगों की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. इस बार राजस्थान के किसानों ने रबी फसलों के बुवाई में अधिक दिलचस्पी दिखाई है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल राजस्थान में 15 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे पर रबी फसलों की बुवाई की गई है. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राजस्थान में पिछले महीने अधिक बारिश का लाभ किसानों को मिला है.
राजस्थान में औसत से 19 प्रतिशत अधिक हुई बारिश
राज्य में हर साल अन्य राज्यों के मुकाबले कम बारिश दर्ज की जाती है. यहां सूखे के हालात रहते हैं. लेकिन इस बार मौसम ने बारिश के रूप में किसानों के लिए खुशियां बरसाई हैं. इस साल राज्य में औसत से 19.1 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है.
राज्य के जल संसाधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य के 33 जिलों में से 18 में इस साल अप्रत्याशित बारिश हुई है. पिछले कई वर्षों में इन जिलों में कम बारिश को देखने को मिलती थी. इसी कारण राज्य में फसल बोने की स्थिति 15 लाख अधिक बढ़ गई है.
ये भी पढ़ें- गेहूं की बुवाई सिर पर, किसानों को नहीं मिल रही डीएपी; दिन निकलते ही समितियों पर लग जाती हैं लंबी-लंबी लाइनें
इन फसलों की बुवाई में हुई वृद्धि
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि पिछले साल से इस साल के आंकड़ों की तुलना की जाए तो गेहूं की बुवाई में करीब 103 प्रतिशत, जौ में 87 प्रतिशत, सरसों और तारामीरा में 16 प्रतिशत, चने की बुवाई में 27 प्रतिशत और अन्य फसलों में लगभग 56 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है.
बुवाई में वृद्धि से राज्य के कई ब्लॉक केंद्रों पर बीजों की मांग बढ़ गई है. किसानों की कतारें बीज खरीदने के लिए देखी जा रही हैं. उधर, केंद्र सरकार ने रबी 2022-23 (अक्टूबर-मार्च) सीजन के लिए 14.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग को मंजूरी दे दी है. लेकिन अब तक केवल 1.57 लाख मीट्रिक टन डीएपी ही सप्लाई हो सकी है.
Share your comments