ऑल इंडिया फूड प्रॉसेसर्स एसोसिएशन का गठन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में दूरदृष्टी रखने वाले अग्रगण्य लोगों ने 1943 में किया। यह दूसरे विश्व युद्ध और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का कठिन दौर था। उन्होंने भारतीय खाद्य-उद्योग क्षेत्र के लिए आरंभिक अवस्था से ही आवश्यक प्रौद्योगिकी सहयोग और पेशाकुशल प्रबंधन की अनिर्वायता समझ ली। उनका मुख्य उद्देश्य खेतों में तैयार ताजा चीज़ों को बरबाद होने से बचाना था। इसलिए फसलों की कटनी के बाद उनके सही रखरखाव की आधुनिक व्यवस्था करने और लंबी अवधि तक कृषि उत्पादों के संरक्षण और मूल्यवर्द्धन को बढ़ावा दिया गया। दरअसल गरीब किसानों को साल-दर-साल की आर्थिक तंगी से बचाने का यही कारगर उपाय है और इस सुविधा के अभाव में किसानों को जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पाद औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को समर्पित और निस्वार्थ सेवा देने के अपने 75 वर्षों के इस सफर पर एआईएफपीए को गर्व है। यह केंद्र एवं राज्य सरकार के सभी अभिकरणों को सहयोग देता है और एकीकृत खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के सभी पहलुओं और चरणों के बारे में अपने सदस्यों को संपूर्ण ज्ञान संसाधन सुलभ कराता है। साथ ही, खाद्य उत्पादों का स्तर और सुरक्षा कायम रखने में हमेशा कामयाब गुणवत्तापूर्ण नियंत्रण की जानकारी का लाभ देता है। एआईएफपीए ने भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को नया रास्ता दिखाया है। अत्याधुनिक तकनीकियों, अत्याधुनिक प्रसंस्करण और पैकेजिंग मशीनों, सक्षम संचालन तंत्र और सहायक विपणन व्यवस्था आदि से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
अब तक 75 वर्षों का शानदार सफर पूरा करने के बाद अपना 'ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोशिएशन' ने प्लैटिनम जुबली कान्फ्रेंस (पीजेसी) का आयोजन किया है। एसोसिएशन भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सेवा में समर्पित रहा है। आयोजन का उद्घाटन माननीय राष्ट्रपति डॉ. राम नाथ कोविन्द प्रातः 11.00 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में करेंगे।
भारत सरकार में माननीया खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल भी अपनी उपस्थित से इस सम्मेलन की गरिमा बढ़ाएंगी। उद्घाटन सत्र के बाद दिसंबर 20 और 21 के दौरान 5 तकनीकी सत्र होंगे। इसके बाद विदाई समारोह होगा जिसमें माननीया खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती साध्वी निरंजन ज्योति विशिष्ट अतिथि होंगी। विदाई समारोह को संबोधित करेंगे इस सत्र के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष भारत सरकार के माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे पी नड्डा।
सम्मेलन में पूरे देश से केंद्र एवं राज्य सरकार के निकायों, खाद्य व्यववसाय परिचालकों, खाद्य प्रौद्योगिकी के उत्कृष्ट संस्थानों, शोध एवं विकास संस्थानों, ताजा एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के आयातकों और निर्यातकों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विशिष्ट प्रतिनिधि आएंगे। प्रत्येक सत्र में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े सरकार के प्रमुख अधिकारी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद होंगे। प्रत्येक सत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से आए 6 पैनलिस्ट होंगे। प्रत्येक सत्र का संचालन उसके अध्यक्ष करेंगे जो सेमिनार के थीम में विशेषज्ञता रखते हैं। सम्मेलन में मुख्यतः भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याओं, विकास की रणनीतियों, नीति नियोजन एवं तकनीकी पक्ष जैसे अहम् मुद्दों पर विमर्श किए जाएंगे।
डॉ सुबोध जिंदल, अध्यक्ष, ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने बताया कि ‘‘एआईएफपीए देश में खाद्य प्रसंस्करण के संवर्धन के लिए समर्पित है। इस उद्देश्य से यह सक्षम तकनीकियों, अभिनव प्रयोगों, नए उत्पादों के विकास, उद्यमशीलता, कानूनों एवं नियमों के अनुकूलन को बढ़ावा देता है। इसका मिशन कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार और जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थों का संरक्षण है। साथ ही, प्राकृतिक उत्पादों के पूर्ण सदुपयोग और मूल्यवर्द्धन, उपभोक्ताओं को पोषण युक्त खाद्य सामग्रियां उपलब्ध कराने पर जोर देता है। एआईएफपीए का लक्ष्य भारत को खाद्य उद्योग का विश्व प्रमुख बाजार बनाना है और अंतिम रूप से किसानों, महिलाओं को शक्तिशाली बनाना और रोजगार सृजन करना है।’’
इन सत्रों के लिए निर्धारित शीर्षक हैं : (प) भारत की सम्पन्न खाद्य विरासत (प) खाद्य आपूर्ति शृंखला एवं चुनौतियां (पपप) अनुकूल नियामक परिवेश (पअ) खाद्य तकनीकियों में अभिनव प्रयोग (अ) प्रास्ंकृत खाद्य उत्पादों के लिए क्षमता में सुधार एवं लागत में कमी। प्रत्येक तकनीकी सत्र की गतिविधियों का ‘इंडियन फूड पैक’ में प्रकाशन होगा जो एआईएफपीए की द्विमासिक पत्रिका है और इनके सुझाव संबद्ध प्राधिकरण को अग्रसारित कर दिए जाएंगे।
देश के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विशिष्ट प्रतिनिधि के रूप में एआईएफपीए ने देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की बाधाएं दूर करने के लिए जब और जैसी जरूरत हो, आवश्यक परिवर्तन के लिए संबद्ध सरकारी अभिकरणों के साथ निरंतर नीतिगत प्रयास करने की जिम्मेदारी निभाई है। साथ ही, एमएसएमई सेक्टर की इकाइयों को हाथों का सहारा दिया है।
गौरतलब है कि कुल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का 85 प्रतिशत से अधिक एमएसएमई हैं। एआईएफपीए का लक्ष्य उनकी समस्याओं का समाधान करना और उनकी तकलीफ कम करना है।
चंद्र मोहन , कृषि जागरण
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