शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण इलाकों की मुर्गियों में झुमरी रोग, माता चेचक रोग, सर्दी-खांसी, दस्त-रोग पाया जाता है. इसके उपचार और वैक्सीन में अभाव की वजह से पॉल्ट्री उद्योग और पशुचिकित्सको को काफी परेशानियां होती रही है. वहीं, मुर्गियों में महामारी की तरह फैलने वाली संक्रामक बीमारी पर अंकुश पाने के लिए काफी समय से वैक्सीन नहीं मिल रही है, जिससे कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ लघु स्तर के मुर्गी पालक भी परेशान हैं.
मंगलवार को आल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के साथ वैक्सीन उत्पादकों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय पशुपालन और पोल्ट्री मंत्री परसोतम रुपाला से मुलाकात कर वैक्सीन निर्माताओं और पोल्ट्री इंडस्ट्री के लोगों ने अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. पोल्ट्री इंडस्ट्री के लोगों ने बताया कि एन9ए2 नामक वायरस से बचाव के लिए मुर्गियों में लो पैथोजेनिक एवियन इंफ्लुएंजा स्ट्रेन (एलपीएआइ) वैक्सीन लगाना जरूरी होता है.
इसके अभाव, में स्थानीय स्तर पर वायरस का प्रकोप मुर्गियों पर हावी हो जाता है और मुर्गियों में महामारी आ जाती है, जिससे भारी नुकसान होता है. केंद्रीय मंत्री रुपाला ने इसको गंभीरता से लेते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि इस समस्या के निदान के लिए जल्दी ही मंत्रालय उचित कदम उठाएगा. वहीं, मामले की गंभीरता को समझते हुए आल इंडिया पोल्ट्री एसोसिएशन के चेयरमैन बहादुर अली ने केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें घरेलू मुर्गी पालकों की समस्याओं का विस्तार से जिक्र किया गया था.
देश में पोल्ट्री कारोबार में संलग्न कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ तकरीबन एक लाख किसान अपनी आजीविका चलाते हैं. यानि देश में ऐसे किसानों की संख्या काफी अधिक है जो मुर्गीपालन को अपना मुख्य रोजगार के तौर पर करते आए हैं. लेकिन वैक्सीन के अभाव में उनकी रोजी-रोटी पर संकट हमेशा मंडराते रहता है. इससे देश में प्रोटीन का प्रमुख साधन पोल्ट्री उत्पाद लगातार महंगे हो रहे हैं. लेकिन बढ़ती महंगाई से भी किसानों या पोल्ट्री कारोबारियों को कुछ खासा मुनाफा नहीं हो पा रहा है. इन समस्याओं का जल्द से जल्द निवारण हो इसकी गुहार पोल्ट्री सेक्टर के लोगों ने सरकार से लगाई है. उम्मीद है की आने वाले दिनों में इसका कोई समाधान वैक्सीन के रूप में सरकार के पास होगा.
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