शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने हवा में आलू उगाने का कारनामा कर दिखाया है. संस्थान द्वारा बीते तीन सालों से किया जा रहा प्रयोग सफल साबित हुआ है. जिसके बाद संस्थान को यह आविष्कार करने में सफलता हाथ लगी है. संस्थान एरोपोनिक नामक नई तकनीक से बिना मिट्टी के हवा में आलू उगाने की यह विधि ईजाद की है.
आमतौर पर आलू जमीन के नीचे उगाया जाता है. एरोपोनिक नाम की नई तकनीक में आलू बिना मिट्टी के हवा में उगाया जाएगा, यानी कि एक थर्मोकोल लगे बॉक्स में छेद करके आलू के पौधे को डाला गया है. पौधे को इस तरह से बॉक्स में डाला गया है कि उसकी जड़े नीचे हवा में हो.
जडों पर न्यूट्रिन अमीडिया नामक छिड़काव किया गया है. विभिन्न तापमान के अनुरूप इन पौधों की जांच की गई. इस आलू को उगाने के लिए मिट्टी का प्रयोग नहीं किया गया. इसमें कीटनाशकों का प्रयोग न के बराबर हुआ है.
ऐरोपोनिक पद्धति से मिट्टी के बिना बीज आलू पैदा करने की तकनीक पर आधारित एरोपोनिक सुविधाओं से आलू की रोग रहित नई किस्में तैयार करने की तकनीक पर आधारित एरोपोनिक सुविधाओं से आलू को किसानों तक कम समय में पहुंचाने में मदद मिलेगी.
आमतौर पर जिस आलू के एक पौधे से सिर्फ पांच और 10 आलू पैदा होते थे, इस तकनीक की मदद से आलू के एक पौधे से 70 आलू का उत्पादन हो सकेगा.
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ऐसे में सात गुना ज्यादा आलू का उत्पादन संभव होगा.इस प्रकार इस तरिके से आलू का उत्पादन 7 गुना बढ़ जाता है. बहुत जल्द ये तकनीक किसानो के पास पहुंच जाएगी.
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