अगर आप शाकाहारी है तो आपके लिए मशरूम की नई प्रजाति काफी ज्यादा फायदेमंद हो सकती है. दरअसल उत्तराखंड में जंगली मशरूम की ये अनोखी प्रजाति पहली बार वन अनुसंधान के अफसरों की नजर में आ गई है. जब वन विभाग ने इस पर प्रांरभिक शोध किया और स्थानीय जानकारी को जुटाया तो इसका स्वाद और इसकी पौष्टिकता मुर्गे के मीट से भी ज्यादा है. इसी वजह से इसको मुर्गा मशरूम कहा जाता है. दरअसल वन विभाग के अनुसंधान विंग ने इस पर विस्तृत शोध करने का कार्य शुरू कर दिया है.
काफी हुई पूछताछ
वन विभाग की मुर्गे की तरह दिखने वाले इस जंगली मशरूम का संरक्षण और उन्नत किस्म को तेजी से विकसित करने की योजना है ताकि इसको व्यावसायिक रूप से उगाया जा सके. इससे लोगों को लाभ होगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इस मशरूम को लेकर कई विशेषज्ञों, रिसर्चरों और मशरूम व्यवसायियों से भी पूछताछ की गई है.
चकतारा और मनुस्यारी में मिला
वन संरक्षक और वन अनुसंधान के अनुसार जंगली मशरूमों को लेकर वन विभाग काफी रिसर्च कर रहा है. इसी दौरान देवबन और मनुस्यारी में मुर्गे जैसा दिखने वाला मशरूम खाया जाता है. यह बांझ के पेड़ों पर पाए जाते है. यह यहां पर जून महीने से अगस्त के महीने में उगते है. जो कि करीब 300 ग्राम से एक किलो के वजन तक के होते है.
यह है खासियत
इस मुर्गा मशरूम की काफी खासियत है जो कि बरसात के समय पर बांझ के पेड़ों पर उगता है.गांव वाले इसको बड़े ही चाव से सब्जी बनाकर खाते है. इस बारे में वहां के ग्रामीणों और नागरिकों से पूछताछ की गई तो पता चला कि लोग इसको कई सालों से लगातार खाते हुए आ रहे है.
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