प्रदूषण की मार से निपटने के लिए योगी सरकार ने एक नई पहल की है. दरअसल, योगी सरकार ने "पराली दो, खाद लो" योजना की घोषणा की है. जी हां, जिस किसान के पास पराली है और वह उन्हें जलाने की सोच रहा है या चिंतित है, अब वह इस योजना का लाभ उठाकर पराली की समस्या से निपट सकते हैं.
किसको मिलेगा लाभ?
बता दें कि यूपी के उन्नाव जिले में जिला प्रशासन ने पराली के बदले खाद की योजना शुरू की है. गौशाला को दो ट्रॉली के भूसे देने से किसानों को एक ट्राली गाय की गोबर की खाद मिलने की स्कीम शुरू की गयी है. इस स्कीम का लाभ उत्तर प्रदेश के निवासी ही उठा सकते हैं और वह अपनी आस-पास की गौशाला में जाकर पराली देकर खाद्य ले सकते हैं.
क्या है पराली दो, खाद्य लो योजना स्कीम?
योजना को लेकर उन्नाव के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने कहा कि ''पराली दो खाद लो'' योजना के क्रियान्वयन के पीछे 4 बड़े कारण हैं:-
-
इस योजना के तहत पराली न जलाने से प्रदूषण नहीं होगा.
-
गौशाला में चारे की कमी नहीं होगी.
-
जैविक खाद के प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी.
-
अच्छी खाद्य की वजह से उपज बेहतर होने से किसानों को आर्थिक रूप से मदद मिल सकेगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसे कानूनी अपराध भी घोषित कर दिया गया है. इस मामले में यूपी, पंजाब और हरियाणा के सभी किसानों पर रिपोर्ट दर्ज करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए पराली के लिए नया कानून लेकर आई है.
यूपी में लखनऊ और कानपुर के बीच स्थित उन्नाव जिले से शुरू हुई इस योजना की किसान और सरकार दोनों की दृष्टि से सराहना हो रही है. कई किसानों को पराली की जरूरत नहीं होती है, ऐसे में वे गोबर को पराली देकर गाय के गोबर की खाद ले सकते हैं, जबकि इससे मवेशियों के लिए चारे की कमी और गोशाला में सर्दी की समस्या का समाधान हो सकता है.
इसे भी पढ़ें: खेत की पराली को आग में नही, धन में बदलिए
एक रिपोर्ट के मुताबिक जिले में अब तक किसानों से 77 टन पराली ली जा चुकी है. इससे जिले की सभी 38 गौशालाओं को जोड़ा जा रहा है. जो किसान संपर्क कर रहे हैं, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. 5 टन पराली के बदले 1 टन खाद दी जा रही है. इसी तरह सभी जिलों में पराली प्रबंधन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय स्तर पर कुछ संशोधन हो सकते हैं.
इसके अलावा इस बीच कुछ किसानों ने पराली के भूसे से मशरूम भी उगाना शुरू कर दिया है. पहले के समय की स्थिति को देखकर अब किसान भी जागरूक हो रहे हैं और वे खुद चर्चा करते हैं कि भविष्य में पराली की समस्या को कैसे कम किया जाए. साथ ही सरकार की इस पहल से पराली और प्रदूषण दोनों से राहत मिलने की उम्मीद है.
Share your comments