साल 2022 में भारतीय चावल (Indian Rice) की मांग बढ़ने का अनुमान है क्योंकि, थाईलैंड (Thailand) और वियतनाम (Vietnam) जैसे देशों में भयंकर बाढ़ ने तबाही मचाई हुई है. यह दोनों देश चावल के प्रमुख निर्यातक (Rice Export) रहे हैं लेकिन बाढ़ के कारण इनकी फसलों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है.
खाद्य सुरक्षा पर असर
जहां मेकांग नदी क्षेत्र में भारी बाढ़ के परिणामस्वरूप दो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में फसलों को विनाशकारी क्षति हुई है. वहीं, धान के खेतों (Paddy Field) के असामान्य रूप से गंभीर क्षरण और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य कीमतों में तेज वृद्धि को देखते हुए, खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
विश्लेषकों ने दावा किया कि भले ही बिहार और उड़ीसा जैसे क्षेत्रों में अपर्याप्त बारिश के कारण भारत में अनाज की बुवाई 17% कम होने का अनुमान है, लेकिन चिंता का कोई कारण नहीं है क्योंकि देश के पास पिछले साल से पर्याप्त भंडार है.
धान किसानों को मुनाफा
ऐसे में महिंद्रा ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला ने ट्वीट कर कहा कि, "भारत के चावल निर्यात में 10-12 बिलियन डॉलर का लाभ हो सकता है क्योंकि इसके प्रमुख प्रतिस्पर्धियों अर्थात थाईलैंड और वियतनाम को पैदावार और लागत वृद्धि में नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. भारत 2022 में 40% बाजार हिस्सेदारी के साथ वैश्विक स्तर पर मांगे गए 53 मीट्रिक टन चावल में से 22 मैट्रिक टन निर्यात कर सकता है."
दक्षिण पूर्व एशिया एकमात्र ऐसा क्षेत्र नहीं है जो बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव को झेल रहा है. यहां तक कि बांग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों में भी बाढ़ ने अपना आतंक मचाया हुआ है लेकिन कई राज्य ऐसे भी हैं जहां बारिश कम हुई है.
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