छ्त्तीसगढ़ का वन विभाग अब यहां की नर्सरी में बांस के दोने और कपड़े में छोटी-छोटी थैलियों में तैयार किए जाएंगे. दरअसल विभाग ने यहां पर प्लास्टिक को बैन करते हुए उसकी जगह पर बांस के दोने और थैली का उपयोग करने का फैसला लिया है. साथ ही शासन से मंजूरी भी मिल गई है. इसी साल से पौधे प्लास्टिक के छोटे-छोटे बैग की जगह उसी साइज के दोने और थैली में तैयार किए जाएंगे. इसके चलते वन विभाग का करीब 25 करोड़ की प्लास्टिक खरीदी का भी खर्च बचेगा. इसके साथ ही महिला स्वसहायता समूह के 25 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. यहां की राजधानी समेत राज्य के अलग-अलग शहरों के 15 प्रसंस्करण केंद्र हैं. इसके साथ कई महिला समूह भी जुड़े है.
कुल 25 करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक बैग आते थे
राज्य शासन से मंजूरी मिलने के बाद बांस प्रसंस्करण केंद्र में दोने को बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. थैली के लिए कपड़े की खरीदी की प्रक्रिया भी कागजों के अंदर शुरू हो चुकी है. दोने और थैली का आकार नर्सरी में अब तक उपयोग किए जा रहे प्लास्टिक बैग के अनुसार ही तैयार करने के निर्देश दिए गए है. अफसरों ने बताया कि हर साल पौधों को तैयार करने में 25 करोड़ से ज्यादा के प्लास्टिक बैग को खरीदे जाते थे.
पर्यावरण के लिए बड़ा कदम
पौधों को लगाने से पर्यावरण सुधार की दिशा में यह अच्छा कदम उठाया जा रहा है. यहां पर प्लास्टिक के बैग की जगह पर बांस और थैली के उपयोग होने से पर्यावरण की सुरक्षा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. उनके अनुसार प्लास्टिक के बैग का कोई भी विकल्प नहीं तलाश गया, इसीलिए मजबूरी में इसका प्रयोग हो रहा है. इससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी. अब पहली बार उसको हटाकर दूसरे विकल्प को उपयोग में लाए जाने की परंपरा होगी.
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