केंद्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान, शिमला के मोदीपुरम केंद्र ने भोज्य आलू की तीन नई किस्में कुफरी गंगा, कुफरी नीलकंठ व कुफरी लीमा का विकास किया है. नई किस्मों का विकास, संस्थान द्वारा पिछले 10-12 लम्बे अनुसन्धान एवं कड़े परीक्षणों के फलस्वरूप हुआ है. नई किस्में, मैदानी क्षेत्रों में उगाई जा रही परिचालित किस्मों से अधिक उपजाऊ हैं एवं अन्य गुणों में भी बेहतर पाई गयी हैं.
कुफरी गंगा (Kufri Ganga)
यह किस्म मुख्य फसल में लगाने के लिए उपयुक्त हैं. इसके कंद सुन्दर सफ़ेद-क्रीम, अंडाकार, उथली आखें व गूदा क्रीम होता है. इसमें पछेती झुलसा रोग से सामान्य प्रतिरोधकता है व इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी हैं. यह भोज्य आलू के लिए उपयुक्त हैं. इस किस्म से लगभग 35-40 टन प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है. कुफरी गंगा में शुष्क पदार्थ की मात्रा 16-18% होती है. यह किस्म कम पानी में भी अन्य किस्मों के मुक़ाबले अधिक उत्पादन देने में समर्थ है.
कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth)
यह मुख्य फसल में लगाने के लिए भोज्य आलू की विशेष किस्म है. इसके कंद सुन्दर बैंगनी, अंडाकार, उथली आखें व गूदा पीला होता है. सेहत के द्रष्टिकोण से इस किस्म में एंटी-ऑक्सिडेंट (एनथो-सायनीन व करोटीनोइड्स) की मात्रा अन्य लाल रंग वाली किस्मों से अधिक है. इसमें पछेती झुलसा रोग से सामान्य प्रतिरोधकता है व इसकी भण्डारण क्षमता भी अच्छी है. इस किस्म से लगभग 35-38 टन प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है. कुफरी नीलकंठ में शुष्क पदार्थ की मात्रा 17-18% होती है.
कुफरी लीमा (Kufri Leema)
अगेती फसल में लगाने के लिए उपयुक्त है क्योंकि एवं इसमें अधिक तापमान के साथ-साथ हॉपर व माईट कीटों के प्रति सहनशीलता भी है. इसके कंद सुन्दर सफ़ेद-क्रीम, अंडाकार, उथली आखें व गूदा क्रीम होता है. इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी है तथा यह भोज्य आलू के लिए उपयुक्त है. इस किस्म से लगभग 30-35 टन प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
अगेती आलू फसल के ताजा उत्पाद की सर्दिओं के त्यौहारी दिनों में अच्छी मांग के कारण मुनाफा भी अधिक मिलता है. कुफरी लीमा में शुष्क पदार्थ की मात्रा 18-19% होती है.
इन किस्मों के अपनाने से किसानों के उत्पादन व आय में वृद्धि होगी साथ ही विशेषकर बैंगनी रंग वाली किस्म कुफरी नीलकंठ से उपभोक्ताओं को अच्छा पोषण भी मिलेगा.
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