पीएम मोदी (PM Modi) का किसानों की दोगुनी आय का सपना जल्द ही सच होने वाला है. जहां जैविक खेती (Organic farming) इस बीच सुर्ख़ियों में बनी हुई है, वहीं सरकार इसको बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.
दरअसल, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home and Cooperation Minister Amit Shah) ने 19 दिसंबर को कहा कि सरकार जैविक किसानों को वैश्विक स्तर पर वैध प्रमाणीकरण (Valid certification) जारी करने की योजना बना रही है, ताकि वे अपने उत्पादों को आसानी से विदेश ले जा सकें. शाह पुणे में वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (VAMNICOM) के समारोह के दौरान किया था.
आर्गेनिक फार्मिंग को मिलेगा बढ़ावा (Organic farming will get a boost)
अमित शाह ने कहा “आजकल जैविक खेती (Organic farming) के बारे में सब जागरूक है और अधिक से अधिक किसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन कोई उत्पाद प्रमाणन और बाजार श्रृंखला नहीं है. सहकारिता विभाग ने फैसला किया है कि अमूल के एक सफल मॉडल (successful model of Amul) की मदद से हम किसानों को जमीन और उपज के लिए विश्व स्तर पर वैध प्रमाण पत्र प्रदान करेंगे."
उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि जैविक उत्पादों की बाजार श्रृंखला बनी रहे और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलता रहे. वहीं सरकार ने प्राथमिक कृषि समितियों (PAS) के कम्प्यूटरीकरण की योजना बनाई है, जिसे जिला केंद्रीय बैंकों से जोड़ा जाएगा जो बदले में नाबार्ड से जुड़े होंगे.
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सहकारिता के लिए एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की योजना बना रही है और हर राज्य में इस विश्वविद्यालय से जुड़ा एक कॉलेज होगा.
जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाएं (Government schemes to promote organic farming)
परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana)
परम्परागत कृषि विकास योजना सहभागी गारंटी प्रणाली (Participatory Guarantee System) के साथ क्लस्टर आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देती है. इस योजना के तहत क्लस्टर निर्माण, ट्रेनिंग, सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग का समर्थन किया जाता है. इस योजना में प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की सहायता 3 वर्ष के लिए प्रदान की जाती है. जिसमें से 62 प्रतिशत (31,000 रुपये) एक किसान को जैविक इनपुट के लिए प्रोत्साहन के रूप में दिया जाता है.
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region)
यह योजना निर्यात पर ध्यान देने के साथ किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के माध्यम से उत्तर पूर्व क्षेत्र की फसलों की जैविक खेती को बढ़ावा देती है.
जैविक खाद और जैव उर्वरक सहित अन्य आदानों के लिए किसानों को तीन साल के लिए 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है. इस योजना में FPO के गठन, क्षमता निर्माण, फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे के लिए 2 करोड़ रुपये तक की सहायता भी प्रदान की जाती है.
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत पूंजी निवेश सब्सिडी योजना (Capital Investment Subsidy Scheme under Soil Health Management Scheme)
इस योजना के तहत राज्य सरकार, सरकारी एजेंसियों को मशीनीकृत फल और सब्जी मंडी वेस्ट और खाद उत्पादन की स्थापना के लिए अधिकतम 190 लाख रुपये प्रति यूनिट तक की सहायता प्रदान की जाती है. इसी तरह अन्य व्यक्तियों और निजी एजेंसियों के लिए भी 63 लाख रुपये प्रति यूनिट तक सहायता प्रदान की जाती है.
तिलहन और पाम ऑयल पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Oilseeds and Palm Oil)
इस मिशन के तहत 50 प्रतिशत की आर्थिक सहायता के रूप में रुपये की सब्सिडी दी जाती है. जैव उर्वरक, राइजोबियम कल्चर की आपूर्ति, फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB), जिंक सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (ZSB), एजाटोबैक्टर, माइकोराइजा और वर्मी कम्पोस्ट सहित विभिन्न घटकों के लिए 300 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रदान किया जा रहा है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission)
NFSM के तहत जैविक उर्वरक को बढ़ावा देने के लिए 300 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित लागत के 50 प्रतिशत पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर (FIBL) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट्स (IFOAM) ने 2020 के अंतर्राष्ट्रीय संसाधन आंकड़ों के अनुसार, भारत 1.94 मिलियन हेक्टेयर के साथ कृषि भूमि के मामले में 9वें स्थान पर है.
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