प्राचीन काल के समय से ही भारत को मसालों की भूमि के नाम से जाना जाता है. भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु और मृदा पाए जाने के कारण यहाँ करीब 63 मसालों की प्रजातियां (63 Spice Species ) की खेती की जाती है.
मसालों की खेती से किसानों काफी अच्छा मुनाफा मिलता है. किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए राजस्थान में मसालों की खेती (Spice Cultivation ) करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
बता दें राजस्थान के झुंझुनू के आबूसर गाँव में मसाले की खेती का बड़ा प्रयोग किया जा रहा है. यहां अधिकारी छह प्रकार की मसाला फसलों पर अनुसंधान कर रहे हैं. यदि प्रयोग सफल रहा तो चार जिलों में इसकी बड़े स्तर पर खेती की जाएगी.
कृषि विभाग के एडप्टिव ट्रायल सेंटर (एटीसी) आबूसर में कैफेटरिया तैयार किया गया है. जिसमें छह प्रकार के मसाला बीज की प्रायोगिक खेती की गयी है. सेंटर की अनुसंधान अधिकारी ने बताया कि अजवायन, जीरा, मैथी, धनिया, सौंफ और दिल की प्रायोगिक खेती की गई है. यहां की जलवायु, मिट्टी और पानी के अनुकूल मसाला फसलों की खेती पर अनुसंधान किया जा रहा है. प्रयोग सफल रहा तो अगले सत्र में किसानों को इसकी खेती की सलाह दी जाएगी.
कृषि विभाग का उद्देश्य (Objectives Of Department Of Agriculture)
जिले के किसानों को खेती से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए राज्य में छह प्रकार के मसाला बीज पर प्रयोग किया जा रहा है. नतीजे सफल मिलने पर किसानों को मसाला की खेती के लिए किसानों को सलाह देंगे.
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