NCRB ने जो आंकड़े अभी जारी किए हैं, वो इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी है कि आजादी के सात दशकों के बाद भी किसान बदहाल हैं. किसानों की बदहाली के सहारे अपना सियासी महल बनाने वाले सियासी सूरमा सत्ता में पहुंचने के बाद भी किसानों की तनिक भी सूध लेने की जहमत नहीं उठाते हैं, जिसका खामियाजा हमारे किसान भाइयों को कभी आत्महत्या करके उठाना पड़ता है तो कभी बदहाली में अपनी पूरी जिंदगी गुजारकर उठाना पड़ता है.
अभी हाल ही में एनसीआरबी ने भी एक आंकड़ा जारी किया है, जिससे आजादी के सात दशकों के बाद भी किसानों की बदहाली साफ जाहिर हो रही है. आइए, आपको एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के बारे में बताते हैं.
NCRB की रिपोर्ट में क्या है
एनसीआरबी की इस रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या के बारे में जिक्र किया गया है. विभिन्न राज्यों में प्रति वर्ष किसानों की हत्याओं के बारे में जिक्र किया गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस राज्य में कितने किसान मौत के मुंह में जा रहे हैं. एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के किसान आत्महत्या कर रहे हैं. वहीं, कल तक हम जिन राज्यों के किसानों को भारतीय कृषि की समृद्धि का प्रतीक मानते थे. वहां के किसानों की हालत भी कुछ खास दुरूस्त नहीं है. पंजाब के किसान भी बड़ी संख्या में बदहाली के जाल में फंसकर मौत को गले लगा रहे हैं. NCRB ने 2017 से लेकर 2020 तक आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर होता है कि प्रतिवर्ष किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
डालिए इन आंकड़ों पर एक नजर
आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में 2017 में 2426, 2018 में 2239 और 2019 में 2680 किसानों ने आत्महत्या की. वहीं, कर्नाटक में 2017 में 1157, 2018 में 1365 और 2019 में 1331 किसानों ने आत्महत्या की है. तेलंगाना में 491 और पंजाब में 239 लोगों ने मौत को गले लगाने का काम किया है. चिंता की बात यह है कि जहां एक तरफ सरकार किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में खुद को प्रतिबद्ध बता रही है, तो वहीं एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए ये आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हुए नजर आ रहे हैं कि किसानों की बदहाली दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है.
सरकार के लिए चिंता का सबब
वहीं, इन आंकड़ों के जारी होने के बाद सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जहां एक तरफ सरकार किसानों की आय को आगामी 2022 तक दोगुना करने की बातें कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ से जिस तरह प्रतिवर्ष किसानों के आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. उसे कैसे हमारी सरकार निपटेगी यह एक सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है.
क्या है किसानों के आत्महत्या की वजह
किसानों के आत्महत्या की वजह की बात करें तो अलग-अलग मामलों में अलग-अलग वजह उभकर सामने आए हैं. कभी कोई किसान कर्ज के बोझ के तले दबकर आत्महत्या कर रहा है, तो कभी कोई किसान अपनी घरेलू समस्याओं से ग्रसित होकर तो कोई बेरोजगारी से ग्रसित होकर, तो कोई फसलों का उचित मुनाफा नहीं मिल पाने की वजह से आत्महत्या कर रहा है. खैर, सरकार भी अपनी तरफ से इस पर रोक लगाने की अपनी तरफ से भरसक प्रयास की बातें कहती है, लेकिन स्थिति अभी-भी जस की तस बनी हुई है. किसान अभी त्रस्त हैं. अब ऐसे में सरकार आगे चलकर किसानों के हित में क्या कुछ कदम उठाती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
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