भारतीय राष्ट्रीय डेयरी संस्थान के निदेशक एम.एस चौहान ने नई दिल्ली में कृषि जागरण के ऑल न्यू डिजिटल मीडिया सेंटर का दौरा किया. उन्होंने यहां सभी कर्मचारियों से मुलाकात की और पशुपालन और डेयरी में नवीनतम रुझानों पर चर्चा की.
उनके साथ राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड के पूर्व सीएमडी वी के गौर (V.K Gaur) भी मौजूद थे.
उन्होंने कृषि जागरण एंड एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और संपादक, एमसी डोमिनिक (M.C Dominic) और उनकी पूरी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की.
डॉ चौहान की महत्वपूर्ण उपलब्धियां :
डॉ चौहान ने विज्ञान की मदद से दुनिया का पहला भैंस क्लोन बछड़ा पैदा किया. इसके साथ ही भ्रूण के स्टेम सेल से भैंस क्लोन बछड़ा "गरिमा-द्वितीय" का उत्पादन किया. भारत का पहला ओपीयू-आईवीएफ साहीवाल बछड़ा तैयार किया. एनआरसी-याक के साथ मिल कर ओपीयू-आईवीएफ याक तैयार किया है. उत्पादित प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य क्लोन भैंस "गरिमा-द्वितीय", महिमा और करिश्मा को जन्म दिया.
बकरी और भैंस में विकसित हाथ निर्देशित क्लोनिंग तकनीक और भैंस में कई बेहतर आनुवंशिक रूप से क्लोन भैंस बछड़ों (गरिमा, श्रेष्ठ, स्वर्ण, पूर्णिमा, लालिमा, रजत, स्वरूप) का उत्पादन किया है.
एम.एस चौहान एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने दुनिया की पहली क्लोन भैंस "गरिमा" विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में से एक है. उन्होंने मवेशी, भैंस और बकरी और याक में भ्रूण के इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है;
इसके अलावा सीआईआरजी मखदूम के निदेशक और बकरी पर एआईसीआरपी के परियोजना समन्वयक के रूप में उनके आरएमपी कार्यकाल (साढ़े 3 वर्ष से अधिक) के दौरान, बकरी वीर्य फ्रीजिंग प्रोटोकॉल और एआई के विकास सहित 4 तकनीकों का विकास किया गया और उनका व्यावसायीकरण किया गया.
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इसके अलावा एनएबीएल प्रमाणित प्रयोगशाला सहित 6 नई प्रौद्योगिकियां विकसित की गईं और कुछ और प्रौद्योगिकियां व्यावसायीकरण की पाइपलाइन में हैं.
छत्तीसगढ़ के लुप्तप्राय जंगली भैंस से क्लोन बछड़ा "दीपाशा" का उत्पादन किया. इसके साथ ही भैंस में 5 भ्रूण स्टेम सेल लाइनों का उत्पादन किया. ये दुनिया में अब तक उपलब्ध एकमात्र सेल लाइन हैं.
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