किसान भाइयों मूंग की बुवाई के लिए उत्तर प्रदेश में चने की दो नई किस्मों की पहचान की गई है. ये किस्में कणिका ( IPM- 302-2) और वर्षा (IPM 2K14-9) हैं जो कि व्यावसायिक तौर पर अधिक पैदावार के मद्देनज़र काफी उपयोगी बताई जा रहीं है. इन किस्मों में वसंतकालीन बुवाई के लिए कणिका(IPM- 302-2) एक उपयुक्त किस्म हैं साथ ही खरीफ के सीजन में भी इसका उत्पादन अच्छा होता है.
एक ट्रायल के दौरान यह देखा गया कि पूसा 9531(1092 किग्रा/हैक्टे.) की अपेक्षा इस किस्म का वसंतकालीन सीजन में उत्पादन ( 1192 किलोग्राम/ हैक्टेयर) अधिक है. इस किस्म का औसत उत्पादन वसंत समय में 922 किग्रा/हैक्टे. जबकि खरीफ में 524 किग्रा/हैक्टे. है. इस किस्म का परीक्षण उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में किया गया है.
यह 61-68 दिन के अंतराल पर विकसित होती है जबकि खरीफ में 65-72 दिन के अंदर विकसित होती है. यह किस्म पत्तियों के मुड़ने व धब्बा आदि रोग प्रतिरोधक है.
इससे इतर दूसरी किस्म वर्षा खरीफ सीजन के लिए एक उपयुक्त किस्म है. इसका उत्पादन IPM 02-3 की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक पाया गया है. इस किस्म का औसत उत्पादन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 560 किग्रा/हैक्टेयर दर्ज किया गया है.
इस दौरान मेरठ में सर्वाधिक उत्पादन 1065 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर पाया गया है. इसका विकास 65-70 दिन में होता है. यह किस्म मूंग में होने वाली पीला मोजैक व पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी के खिलाफ लड़ने में सक्षम पाई गई है. इसके बीज हरे एवं चमकदार पत्ते वाली होते हैं. उत्तर प्रदेश में इन दोनों किस्मों की बुवाई से मूंगबीन का उत्पादन स्तर काफी बढ़ गया है.
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