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Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन

मूंग की खेती (moong cultivation) भारत के कई राज्यों में की जाती है. प्रमुख दलहनी फसलों के तहत मूंग का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसमें उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब भी शामिल हैं. हर किसान चाहता है कि उसे फसल का बेहतर उत्पादन मिले जिससे उसकी आय में बढ़ोतरी हो सके. खेती में अच्छा मुनाफा पाने के लिए किसानों को जहां जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है, वहीं किस्मों पर भी. जी हां, खेतीबाड़ी के तहत बुवाई कार्य में अगर किसान सही किस्म का चुनाव करते हैं तो, उन्हें न केवल फसल उत्पादन (crop production) ज्यादा मिलेगा, बल्कि उनकी लागत भी कम लगेगी. इसी कड़ी में आज हम आपको मूंग की खेती में बुवाई के लिए बेहतर किस्मों की जानकारी देने वाले हैं. साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि आपको अपने क्षेत्र के मुताबिक मूंग की बुवाई किस किस्म से करनी चाहिए.

सुधा पाल
Moong varieties
Moong varieties

मूंग की खेती (moong cultivation) भारत के कई राज्यों में की जाती है. प्रमुख दलहनी फसलों के तहत मूंग का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसमें उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब भी शामिल हैं. हर किसान चाहता है कि उसे फसल का बेहतर उत्पादन मिले जिससे उसकी आय में बढ़ोतरी हो सके.

खेती में अच्छा मुनाफा पाने के लिए किसानों को जहां जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है, वहीं किस्मों पर भी. जी हां, खेतीबाड़ी के तहत बुवाई कार्य में अगर किसान सही किस्म का चुनाव करते हैं तो, उन्हें न केवल फसल उत्पादन (crop production) ज्यादा मिलेगा, बल्कि उनकी लागत भी कम लगेगी. इसी कड़ी में आज हम आपको मूंग की खेती में बुवाई के लिए बेहतर किस्मों की जानकारी देने वाले हैं. साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि आपको अपने क्षेत्र के मुताबिक मूंग की बुवाई किस किस्म से करनी चाहिए.

क्षेत्र के मुताबिक मूंग की किस्में (Varieties of Moong according to region)

उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड

इन क्षेत्रों के किसान खरीफ फसल के लिए पंत मूंग- 5, पंत मूंग- 4, नरेन्द्र मूंग- 1 और जायद के लिए आई पी एम- 2 – 3, पी डी एम- 139, मेहा, हम- 12 किस्में ले सकते हैं.

आंध्रप्रदेश

किसान खरीफ फसल के लिए मधिरा- 429, पूसा- 9072, डब्लू जी, जी- 2, आई पी एम- 2 – 14, ओ यू एम- 11 – 5, को जी जी- 912 किस्में ले सकते हैं. वहीं रबी फसल की बुवाई के लिए एल जी जी- 460, एल जी जी- 450, एल जी जी- 407, टी एम- 96 – 2 किस्में ले सकते हैं.

राजस्थान

यहां के किसान खरीफ फसल के लिए एस एम एल- 668, आई पी एम- 2 – 3, आर एम जी- 492, एम एच- 2 – 15 किस्में और जायद फसल के लिए एस एम एल- 668, पी डी एम- 139, मेहा किस्में ले सकते हैं.

गुजरात

खरीफ फसल की बुवाई के तहत मूंग- 3, गुजरात मूंग- 4, के- 851, पी के वी ए के एम- 4 किस्में ली जा सकती हैं.

हरियाणा

इस क्षेत्र के किसान खरीफ फसल के लिए आई पी एम- 2 – 3, एम एच- 2 – 15, मुस्कान किस्म ले सकते हैं. इसके साथ ही जायद फसल के लिए एस एम एल- 668, पंत मूंग- 5 किस्में उपयुक्त हैं.

पंजाब

किसान खरीफ फसल के लिए एम एच- 215, आई पी एम- 2 – 3, एम एल- 818, 613 ले सकते हैं और जायद फसल बुवाई के लिए एस एम एल- 658, आई पी एम- 2 – 3, पंत मूंग- 5 ले सकते हैं.

मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़

इन क्षेत्रों के किसान खरीफ फसल के लिए हम- 1,टी जे एम- 721, बी एम- 4, मेहा और जायद के लिए पी डी एम- 139, हम- 1 किस्में ले सकते हैं.

बिहार/झारखंड

इन क्षेत्रों के किसान खरीफ फसल के लिए आई पी एम- 2 – 3, एम एच- 2 – 15, पंत मूंग- 4, 2, नरेन्द्र मूंग- 1, सुनैना, पी डी एम- 139, एम एच- 2 – 15, हम- 1, ले सकते हैं.  वहीं रबी फसल का तहत हम- 16, पी डी एम- 139, मेहा किस्में ले सकते हैं. इसके साथ ही जायद फसल के लिए पंत मूंग-5, हम- 12, पूसा विशाल, टीबी एम- 37 किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.

हिमाचल प्रदेश जम्मू/कश्मीर

खरीफ फसल के तहत शालीमार मूंग- 1, पूसा- 672, के एम- 2241 किस्में बुवाई के लिए उपयुक्त हैं.

कर्नाटक

खरीफ फसल के लिए आई पी एम- 2 – 14 व 2 – 3, हम- 1, पी के वी ए के एम- 4, को जी जी- 912, के के एम- 3, एल जी जी- 450, टार्म- 1, ओ बी जी जी- 52 किस्में उपयुक्त हैं.

महाराष्ट्र

खरीफ फसल के लिए हम- 1, बी एम- 2002 – 1, पी के वी ए के एम- 4, बी एम- 4, टार्ग- 2 किस्में किसान ले सकते हैं.

ओडीशा

इस क्षेत्र के किसान खरीफ फसल के लिए एल जी जी- 460, टार्म- 1, ओ बी जी जी- 52, आई पी एम- 2 – 3, पीडी एम- 139, ओ यू एम- 11 – 5, को जी जी- 912 किस्में ले सकते हैं. 

तमिलनाडू

खरीफ फसल के तहत किसान आई पी एम- 2 – 3, को- 6, टी एम- 96 – 2, वंबन- 2, वंबन- 3 और जायद फसल के लिए ए डी टी- 3, सुजाता किस्म का चयन कर सकते हैं.

पश्चिम बंगाल

खरीफ फसल के तहत किसान एम एच- 2 – 15, पंत मूंग- 5, पंत मूंग- 4, नरेन्द्र मूंग -1 और जायद फसल के लिए हम 16, आई पी एम- 2 – 3, पी डी एम- 139, मेहा, टी बी एम- 37, पंत मूंग 5, पूसा विशाल किस्में ले सकते हैं.

जल्दी तैयार होने वाली मूंग की किस्में (Early maturing moong varieties)

1.कल्याणी

वाराणसी के कुदरत कृषि शोध संस्था द्वारा विकसित की गई यह किस्म जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. आमतौर पर मूंग की फसल को तैयार होने में 65 से लेकर 90 दिन का समय भी लग जाता है लेकिन यह किस्म महज 50 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है. ऐसे में इसे उन्नत किस्म की श्रेणी में रखा गया है. इसमें गुच्छे लंबे और फलियां हरे रंग की होती हैं. यह किस्म फसल को कई कीट और रोगों से बचाती है. इस किस्म की बुवाई करके प्रति एकड़ खेत में 6 से 7 कुंतल उपज ली जा सकती है.

2.पी एस 16

यह किस्म 60-65 दिन में फसल तैयार करके देती है. इसका पौधा सीधा, लम्बा होता है. इसके पैदावार की क्षमता प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल होती है. साथ ही यह बारिश और ग्रीष्म, दोनों ही मौसम के लिए उपयुक्त रहती है.

3.एस एम एल 668

जायद और खरीफ़, दोनों ही मौसम में इस किस्म की बुवाई होती है. इसका तना मजबूत होता है और फलियां नीचे की तरफ गुच्छे के रूप में झुकी होती हैं. इस किस्म के दाने मोटे होते हैं और हजार दानों का वजन लगभग 58-63 ग्राम तक होता है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल तक की पैदावार ली जा सकती है.

4.पंत मूंग 1

मूंग की यह उन्नत किस्म फसल को लगभग 75 दिन में पका देती है. साथ ही जायद के मौसम में फसल को 65 दिन में पका सकती है. इसके दाने छोटे होते हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

5.एमएच-421

मूंग की यह किस्म 60 से 65 दिन में पक जाती है और इसके दाने मध्यम मोटाई वाले होते हैं. 100 आपको बता दें कि गर्मियों में तैयार होने वाली इस किस्म की फलियां फटती नहीं हैं. इस किस्म से जुलाई के पहले पखवाड़े में बुवाई की जा सकती है.

ये हैं मूंग की उन्नत किस्में (अन्य)

1.अमृत

मूंग की इस किस्म की बुवाई खरीफ़ मौसम के लिए उपयुक्त है. इसमें भी पीला मोजैक वायरस रोग को सहन करने की क्षमता होती है. इससे 10-12 क्विंटल पैदावार प्रति हेक्टेयर मिल सकती है.

2.पूसा विशाल

मूंग की यह किस्म 70-75 दिन में पक जाती है. किसान इसको जायद और खरीफ, दोनों मौसम में लगा सकते हैं और प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल पैदावार ले सकते हैं.

3.एम.यू.एम 2

मूंग की इस किस्म का पौधा ऊंचाई में करीब 85 सेंटीमीटर का होता है और किसान  इसकी बुवाई से प्रति हेक्टेयर 20-22 क्विंटल पैदावार ले सकते हैं. इसके दाने मध्यम आकार के और चमकदार होते हैं. यह किस्म 80-85 दिन में पक जाती है.

4.आर एम जी 268

मूंग की यह उन्नत किस्म सूखे के लिए प्रतिरोधी है और साथ ही कम बारिश और सामान्य क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. इस किस्म से आप फसल से करीब 20 फीसदी ज्यादा पैदावार ले सकते हैं.

5.वर्षा

मूंग की इस अगेती किस्म का पौधा छोटा और झाड़ीनुमा होता है. इससे  प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल की पैदावार मिलती है.

6.सुनैना

इस किस्म का बीज हरे रंग का और चमकीला होता है. इससे प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल पैदावार मिलती है. 

7.मोहिनी

किस्म में पीला मोजैक वायरस को सहन करने की क्षमता है. यह 70-75 दिन में पक जाती है. इसका पौधा सीधा फैलता है और हर फली में 10-12 दाने होते हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल पैदावार मिलती है.

8.कृष्णा 11

यह भी मूंग की उन्नत अगेती किस्म है. यह किस्म फसल को 65-70 दिन में पका देती है और लगभग 10-12 क्विंटल पैदावार प्रति हेक्टेयर दे सकती है.

किसान कहां से खरीद सकते हैं बीज? (From where can farmers buy seeds?)

किसान मूंग की बुवाई के लिए अगर बीज खरीदना चाहते हैं तो वे किसी भी नज़दीकी बीज विक्रय केंद्र से संपर्क कर खरीद सकते हैं. इसके अलावा किसान कृषि विज्ञान केंद्र यानी केवीके (KVK) से भी संपर्क कर सकते हैं.

English Summary: farmers can use different moong varieties for sowing seeds according to their regions Published on: 23 May 2020, 07:56 AM IST

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