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Agromet Advisory (Hindi): मक्का, सोयाबीन, कपास और आलू की फसलों के लिए सलाह, पढ़ें पूरी खबर

इस बदलते मौसम में मध्य प्रदेश के किसानों को अपनी फसल के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं. इसके लिए मध्य प्रदेश के मौसम विभाग द्वारा एग्रोमेट एडवाइजरी जारी की गई है...

लोकेश निरवाल
Meteorological Department has issued necessary advice for farmers and animal husbandry of Madhya Pradesh
Agromet Advisory (Hindi) Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश किसान भाइयों के लिए मौसम विभाग ने जरूरी जानकारी दी है. ये जानकारी मौसम के बदलते रूख को देखते हुए दी गई है. बता दें कि यह सलाह मौसम विभाग द्वारा जारी एग्रोमेट एडवाइजरी के तहत है. यह सलाह राज्य के पशुपालक व किसान दोनों के लिए है.

मौसम विज्ञान विभाग, भोपाल द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, आने वाले दिनों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है, इसलिए किसानों को मौसम साफ होने तक मटर और आलू की बुवाई नहीं करनी चाहिए. वर्तमान और आने वाले दिनों में वर्षा की स्थिति को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि जहां दलहन, तिलहन और सब्जियां लगाई गई हैं, वहां उचित जल निकासी की व्यवस्था करें.

मक्का:-

कुछ क्षेत्रों में मक्के की फसल में नमी की अधिकता के कारण शीथ ब्लाइट का संक्रमण बताया गया है, इसकी रोकथाम के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तने में कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम/लीटर या प्रोपिकोनाजोल 1 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें. देखा जाए तो कुछ क्षेत्रों में मक्के की फसल में अधिक नमी के कारण तना सड़न रोग बताया गया है, इसकी रोकथाम के लिए किसानों को निम्न उपाय करने चाहिए.

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें.

  • नाइट्रोजन उर्वरकों का अधिक मात्रा में प्रयोग न करें.

मक्के की फसल (corn crop) पर आर्मी वर्म गिरने की संभावना है इसलिए उस क्षेत्र में नियमित निगरानी रखें. यदि खेत में फॉल आर्मी वर्म दिखाई दे, तो स्पिनोसैड 45 एस.सी @ 0.3 मिली या एमेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी @ 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में स्प्रे करें, ताकि फसल को प्रारंभिक अवस्था में बचाया जा सके.

सोयाबीन:-

'टी' या 'वाई' आकार के 2 से 2.5 फीट ऊंचाई वाले पक्षी आसन @ 20-25 और फेरोमोन ट्रैप @ 8 ट्रैप प्रति एकड़ का प्रयोग करें, ताकि प्रारंभिक अवस्था में कैटरपिलर को नियंत्रित किया जा सके. इसके साथ ही फसल की लगातार निगरानी रखें. यदि हमला बढ़ रहा है (एक वर्ग मीटर में 2-3 कैटरपिलर पाए जाते हैं) किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि फसल को बचाने के लिए डिफोलिएटर के हमले से 25-30 दिन क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी (150 मिली / हेक्टेयर) का छिड़काव करें.

सोयाबीन बीज की शुद्धता बनाए रखने के लिए किसानों को बीज उत्पादन कार्यक्रम में अन्य किस्मों के पौधों को रफ करने की सलाह दी जाती है.

यदि सोयाबीन के खेतों में करधनी बीटल का हमला देखा गया है, तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वे थायक्लोप्रिड (21.7% w/w) @ 650ml/ha का छिड़काव करें.

कपास:-

कपास के खेतों में चूसने वाले कीट का संक्रमण देखा गया है. इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड + एसीफेट 1 ग्राम/लीटर पानी या वर्टिसिलियम लेकेनी 5 ग्राम/लीटर पानी का स्प्रे करें. एन पी के 19:19:19 पानी में घुलनशील उर्वरक @ 100 ग्राम / पंप के विकास के लिए पत्तेदार आवेदन करें.

गन्ना:-

  • गन्ने की फसल (sugarcane crop) में लाल सड़न के हमले को नियंत्रित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.

  • गन्ने में रुकने से बचने के लिए हरी पत्तियों की सहायता से एक दूसरे को तीन या चार बैत बांधें.

  • गन्ने की फसल में आवश्यकता आधारित अंर्तसांस्कृतिक संचालन और अर्थिंग की जानी चाहिए. पाइरिलाकीटों के प्रकोप को कम करने के लिए गन्ने के खेतों में उचित जल निकासी व्यवस्था को बनाए रखा जाना चाहिए.

  • यदि खरपतवार की समस्या हो,तो ग्लाइफोसेट 40sl @ 80 मिली/15 लीटर पानी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. यदि तेज हवा चलती है तो स्प्रे न करें.

आलू:-

  • आलू के लिए परती खेत तैयार करें.

  • आलूकी बुवाई ( potato planting) सितंबर के दूसरे सप्ताह के बाद करनी चाहिए.

  • बीज को पेंसिक्विरॉन25 मि.ली./क्विंटल बीज से उपचारित करें.

आलू की अनुशंसित किस्में कुफरी सिंधुरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी बादशाह, कुफरी बहार, कुफरी अशोक, कुफरी पुखराज, कुफरी अरुण, कुफरी पुष्कर, कुफरी शैलजा, कुफरी चिप्सोना -1, कुफरी चिप्सोना -2, कुफरी चिप्सोना -3, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी फ्राइसोना आलू की लोकप्रिय किस्में हैं जिनकी खेती की जाती है.

फल:-

  • आम के पौधे(mango plants) में रोगग्रस्त, मृत और अधिक भीड़ वाली शाखाओं की छटाई करनी चाहिए.

  • बागवानी फसलों जैसे पपीता, आम, अमरूद आदि के रोपण के लिए वर्तमान मौसम की स्थिति अनुकूल है. किसानों को जल्द से जल्द रोपण के लिए सलाह दी जाती है.

  • सिट्रस प्रजातियों में बरसात के मौसम में नासूर रोग तेजी से फैलता है. प्रभावित पत्तियों और टहनियों को तोड़कर नष्ट कर दिया जाता है, उसके बाद 60लीटर पानी में @180 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन के घोल का छिड़काव किया जाता है.

पशुपालन: -

  • मवेशियों को छाया में रखना चाहिए और दिन में दो बार स्वच्छ और ताजा पानी उपलब्ध कराना चाहिए.

  • जहां तक ​​संभव हो मवेशियों के शेड को सूखा रखना चाहिए

  • दुग्ध उत्पादन को बनाए रखने और बीमारी से बचाव के लिए पशुशाला को मक्खियों और मच्छरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए.

  • मच्छरों और अन्य कीड़ों से बचाव के लिए पशुशाला में धुआं पैदा करें.

English Summary: Meteorological Department has issued necessary advice for farmers and animal husbandry of Madhya Pradesh Published on: 13 September 2022, 05:02 PM IST

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