हाय! यह आपदा, हमेशा से ही किसानों को बदहाल करने में माहिर रही है. कभी उनकी लहलहाती फसलों को अपनी आगोश में ले गई तो कभी उनकी नाउम्मीदी बनकर उन्हें बेसहारा छोड़ गई. बेशक, सरकार अन्नदाताओं को आपदाओं के कहर से बचाने के लिए अनेकों परियोजनाएं लेकर आई हो, मगर इन विपदाओं के शिकार हुए किसानों की आह इन परियोजनाओं की कुव्वत पर सवाल खड़े करती है।
बाराचवर विकासखंड के बांकी खुर्द गांव में माइनर पानी के दबाव के चलते बर्बाद हुई फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए किसान अब शासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. पानी के दबाव के चलते इनकी कीमती फसलें नुकसान हुई है. तकरीबन, 13 बीघा गेहूं एवं चने की फसल जलमग्न हो गई. दरअसल, पंप कैनाल से काफी मात्रा में पानी छोड़े जाने की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो गई. जब सुबह किसान सीवान पहुंचे तो अपनी फसलों को हुए नुकसान को देखकर दंग रह गए।
वहीं, जैसे ही यह खबर पूरे गांव में फैली, तो सभी लोग मौके पर पहुंचे। बता दें कि गांव के अवधनाथ सिंह का तीन बीघा, रामनाथ यादव दो बीघा, सर्वबचन सिंह पांच मंडा, रामायन गुप्ता एक बीघा, हरिशचंद्र सिंह चार बीघा, रमाकांत सिंह एक बीघा, प्रेमनारायण सिंह दो बीघा, जुगेश तीन मंडा चना, मुन्ना तीन मंडा चना, इंद्रजीत सिंह पांच मंडा चना, अवधेश सिंह सोलह मंडा, अशोक तिवारी की फसल बर्बाद हुई.
वहीं, किसान अपनी नुकसान हुई फसलों का मुआवजा मांग रहे हैं. इसके साथ ही जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर ले जाया जा रहा है, ताकि आगामी भविष्य में इस तरह के नुकसान से बचा जा सके. गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसानों की उन्नति की दिशा में अनेकों कदम उठा रही है, लेकिन अभी-भी किसान जमीनी स्तर पर बदहाल हैं, लिहाजा उनकी माली हालत में सुधार करने हेतु सरकार की कोशिश जारी है.
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