1. Home
  2. ख़बरें

जानिए कैसे करे प्याज का बीज उत्पादन

प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है. इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं. प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं. प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है. सब्जियों में सबसे ज्यादा निर्यात प्याज का ही किया जाता है. निम्न तकनीक अपनाकर किसान भाई अपने खेत में खुद प्याज के उन्नत बीज का उत्पादन कर सकते हैं.

KJ Staff
Onion
Onion

प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है. इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं. प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं. प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है. सब्जियों में सबसे ज्यादा निर्यात प्याज का ही किया जाता है. निम्न तकनीक अपनाकर किसान भाई अपने खेत में खुद प्याज के उन्नत बीज का उत्पादन कर सकते हैं -

उन्नत किस्में

लाल किस्में

पूसा लाल, पूसा माधवी, पूसा रिद्धि, पूसा रतनार, पंजाब रैड राउंड, अरका निकेतन, एग्रीफाउण्ड लाईट रैड, एन.एच.आर.डी.एफ. रैड

सफेद किस्में

 पूसा व्हाइट फ्लैट, पूसा व्हाइट राउंड, एग्रीफाउण्ड व्हाइट, एस-48, पंजाब व्हाइट

पीले रंग की किस्में

अर्ली ग्रेनो

खेत का चयन

प्याज बीज उत्पादन के लिए ऐसे खेत का चुनाव करना चाहिए जिसमें पिछले मौसम में प्याज या लहसुन की शल्ककंद या बीज फसल ना उगाई गई हो. खेत की मिट्टी दोमट, बलुई दोमट या चिकनी दोमट तथा पी.एच. मान 6 से 7.5 होना चाहिए.  खेत की मिट्टी में जीवांश पदार्थ प्रचुर मात्रा में हो तथा पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

पृथक्करण दूरी

प्रमाणित बीज फसल उत्पादन के लिए न्यूनतम 400 मीटर की पृथक्करण दूरी तथा आधार बीज फसल के लिए यह पृथक्करण दूरी 1000 मीटर होनी चाहिए. प्याज एक परंपरागित फसल है जिसमें मधुमक्खियां तथा अन्य कीट परागण में मदद करते हैं. अतः आनुवांशिक रुप से शुद्ध बीज उत्पादन के लिए निर्धारित न्यूनतम पृथक्करण दूरी का होना आवश्यक है.

बीजोत्पादन विधि

उत्तर भारत के मैदानी भागों में बीजोत्पादन की दो विभिन्न विधियां हैं.

बीज से बीज तैयार करना

इस विधि में सीधा बीज से बीज तैयार किया जाता है. इसके अंतर्गत पौधशाला में बीज की बुवाई अगस्त माह में तथा पौध की रोपाई अक्टूबर में की जाती है. अप्रैल-मई में बीज तैयार होता है. इस विधि में अपेक्षाकृत अधिक बीज की उपज होती है एवं बीज हेतु केन्द्रों के भंडारण तथा पुनः रोपण आदि का खर्चा भी बचता है. इस विधि में प्याज के बीज की जातीय शुद्धता बनाए रखना सम्भव नहीं है क्योंकि इसमें कन्दों के रंग, आकार आदि गुणों की परख नहीं की जा सकती.

शल्ककंदों से बीज बनाना

प्याज के अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन हेतु अधिकतर इस विधि का उपयोग किया जाता है. पूर्णतः पक्व, स्वस्थ, एक रंग की, पतली गर्दन वाली, दोफाड़े रहित एवं 4.5-6.5 सें.मी. व्यास तथा 60-70 ग्राम भार के शल्ककंदों को बीज उत्पादन हेतु रोपण के लिए चुनते हैं. चुने हुए कंदों के ऊपर का एक चैथाई या एक तिहाई हिस्सा काटकर हटा देते हैं तथा काटे गए कंद के निचले हिस्से को 0.2 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम अथवा मैन्कोजेब के घोल में 5-10 मिनट तक भिगोकर खेत में रोपाई करते हैं. कंदों को बगैर काटे या साबुत भी लगाया जाता है. उपचारित शल्ककंदों को अच्छी तरह तैयार किए गए खेत में समतल क्यारियों में 60X30 सें.मी. की दूरी पर 6-7.5 सें.मी. की गहराई पर लगाया जाता है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सें.मी. से कम होने पर फसल में मिट्टी चढ़ाने के कार्य में बाधा आती है. शल्ककंदों की रोपाई हेतु 60 सें.मी. के अंतर पर हल्की नालियां ट्रैक्टर चालित ड्रिल द्वारा बनाई जा सकती है जिससे रोपाई में श्रमिक खर्च की लागत कम आती है. एक हैक्टेयर क्षेत्र में लगाने के लिए लगभग 25-30 किवंटल शल्ककंदों की आवश्यकता होती है.

सिंचाई प्रबंधन

शल्ककंदों को बीजने के बाद सिंचाई करते हैं. बीज खेत में समय-समय पर सिंचाई करने की आवश्यकता होती है. विशेषकर पुष्पन तथा बीज विकास के समय खेत में उचित नमी बनाए रखना आवश्यक होता है. दिन के समय अथवा तेज हवा चलने की अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए. टपक सिंचाई का उपयोग करने पर भी अच्छी बीज फसल प्राप्त होती है.

मिट्टी चढ़ाना

पौधों को गिरने से बचाने के लिए बीज फसल में स्फूटन के आरंभ होने की अवस्था पर मिट्टी चढ़ाते हैं.

खाद एवं उर्वरक

शल्ककंद रोपण के लिए खेत तैयार करते समय 50 टन गोबर की सड़ी खाद, 240 किलोग्राम कैल्शियम अमोनियम नाईट्रेट या 60 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा 80 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश तथा 10-12 किलोग्राम पी. एस. बी. कल्चर प्रति हैक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाते हैं. इसके अतिरिक्त 35 कि.ग्रा. यूरिया शल्ककंद लगाने के 30 दिन बाद तथा 35 कि.ग्राम यूरिया शल्ककंद लगाने के 45-50 दिन बाद छिड़काव द्वारा डालते हैं.

अवांछनीय पौधों को निकालना बीज खेत में कोई भी वह पौधा जो लगाई गई किस्म के अनुरूप लक्षण नहीं रखता है उसे अवांछनीय पौधा माना जाता है. जिन पौधों में बीमारी, खासकर बीज से उत्पन्न होने वाली बीमारी हो तो उन्हें भी खेत से हटाना जरूरी है. अवांछनीय पौधों को खेत से बाहर निकालने वाले व्यक्ति को किस्म के लक्षणों का भली-भांति ज्ञान होना चाहिए जिससे कि वह अवांछनीय पौधों को पौधे की बढ़वार, पत्तों व फूलो के रंग-रूप, फूलों के खिलने का समय आदि के आधार पर पहचान सके. प्याज में तीन अवस्थाओं पर अवांछनीय पौधों को निकालने का कार्य करना चाहिए. वानस्पतिक अवस्था पुष्पन की अवस्था पुष्पन के बाद तथा कटाई से पूर्व बीजवृंतों की कटाई, गहाई व भंडारण कंदों की बुवाई के एक सप्ताह बाद अंकुरण आरंभ हो जाता है तथा लगभग ढाई माह बाद फूल वाले डंठल बनने शुरु हो जाते हैं. पुष्प गुच्छ बनने के 6 सप्ताह के अंदर ही बीज पक जाता है. बीजवृंतों का रंग जब मटमैला हो जाए एवं उनमें 10-15 प्रतिशत कैप्सूल के बीज बाहर दिखाई देने लगे तो बीजवृंतों को कटाई योग्य समझना चाहिए. सभी बीजवृंत एक साथ नहीं पकते अतः उन्हीं बीजवृंतों को काटना चाहिए जिनमें 10-15 प्रतिशत काले बीज बाहर दिखाई देने लगे हों. 10-15 सें.मी. लम्बे डंठल के साथ पुष्प गुच्छों को काटना चाहिए. कटाई के बाद बीजवृंतों को तिरपाल या पक्के फर्श पर फैलाकर खुले व छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए. अच्छी तरह सुखाए गए बीजवृंतों को डंडों से पीट कर या ट्रैक्टर द्वारा गहाई करके बीजों को निकालते हैं. बीजों से बीजवृंत अवशेषों, तिनकों, डंठलों आदि को अलग कर लेते हैं. यांत्रिक प्रसंस्करण सुविधा ना होने की स्थिति में सफाई के लिए बीज को 2-3 मिनट तक पानी में डुबोना चाहिए तथा नीचे बैठे हुए भारी बीजों को निथार कर सुखाना चाहिए. सुखाने के बाद बीज को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करना चाहिए. साफ बीज को अगर टीन के डिब्बों, एल्युमिनियम फॉयल या मोटे प्लास्टिक के लिफाफे में भरना हो तो बीज को 5-6 प्रतिशत नमी तक सुखाना चाहिए. सुरक्षित भंडारण हेतु बीज को 18-200 से. तापक्रम तथा 30-40 प्रतिशत आपेक्षित आद्रर्ता पर रखना चाहिए.

कृषि जागरण मासिक पत्रिका,

जनवरी माह नई दिल्ली

English Summary: Learn How To Make Onion Seed Production Published on: 16 January 2018, 03:12 AM IST

Like this article?

Hey! I am KJ Staff. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News