अपने हर्फों को अपने लबों तक ही रखें जनाब, हम वो जमात हैं, जो अल्फाजों से नहीं, बल्कि तस्वीरों से गुफ्तगू किया करते हैं’. खामोश रहकर जमाना जीतना हो तो तस्वीरों से उम्दा विकल्प और कुछ नहीं हो सकता है. तस्वीरें बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह दिया करती हैं.
बेशुमार इबारतों में कैद होने वाले अल्फाज चंद किरदारों में सिमटकर जब तस्वीरों के रूप में सामने आते हैं तो जमाना ताकता रह जाता है. इस लेख में तस्वीरों की कुछ ऐसी अनकही कहानी को हर्फों में बयां करने जा रहे हैं. दुनियाभर के फोटोग्राफर्स के लिए १९ अगस्त का दिन बहुत खास होता है. इस दिन को लोग फोटोग्राफर्स डे के रूप में मनाते हैं. आइए, जरा तफसील से जानें कि आखिर कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, विश्व फोटोग्राफी डे.
विश्व फोटोग्राफी डे
विश्व फोटोग्राफी डे हर साल १९ अगस्त को मनाया जाता है. यह दिन उन सभी फोटोग्राफर के लिए बेहद खास है, जो हसीन लम्हों को तस्वीरों में कैद करने की चाहत रखते हैं. विश्व फोटोग्राफर डे मनाने की शुरूआज १८१ साल पहले ९ जनवरी १८३९ में हुई थी. उस वक्त डाइग्ररोटाइप प्रक्रिया की घोषणा की गई थी, जिसे दुनिया की पहली फोटो माना गया था.
इस प्रक्रिया की शुरूआत जोसेफ नाइफोर और लुइल डागोर ने किया था. इसके बाद १९ अगस्त १८३९ को इसके अविष्कार की अधिकारिक घोषणा की गई थी, जिसके बाद से हर वर्ष १९ जुलाई २०२१ को विश्व फोटोग्राफी डे के रूप में मनाया जाता है.
फोटो का महत्व
एक तस्वीर हजारों अल्फाजों के बराबर होती है, जितना आप हजार अल्फाजों के सहारे नहीं बयां कर सकते हैं, उससे कहीं ज्यादा आप चंद तस्वीरों के सहारे बयां कर सकते हैं. आज हमारे लिए तस्वीरें लेना आसान हो गया है, लेकिन शायद आपको मालूम न हो कि आज से कुछ दशक पहले तस्वीरें लेने के लिए लोग कितने ही मील पैदल चलकर फोटो स्टूडियों जाकर फोटो खींचवाया करते थे.
लेकिन आज की तारीख में विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि हाथ में कैमरे वाला मोबाइल है और लोग तस्वीरे लेते दिखाई देते है. आज हम हर छोटे बड़े लम्हों को कैदकर तन्हाई में याद ताजा करते हैं. यकीनन, यह सोचकर कितना अच्छा लगता है, लेकिन यकीन मानिए आज से कुछ दशक पहले यह सब कुछ उतना आसान नहीं था, जितना आज सरल लगता है. इन तस्वीरों ने हमारे मीडिया खासकर डिजिटल मीडिया को बहुत प्रभावित किया है.
डिजिटल मीडिया पर तस्वीरों का प्रभाव
आरंभ से ही पत्रकारिता में तस्वीरों का अपना खास महत्व रहा है. तस्वीरों के बिना पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती है. सूचनाओं को सुव्यवस्थित और बेहतर ढंग से पाठकों को प्रेषित करने के लिए तस्वीरों का चलन शुरू से रहा है. एक उम्दा तस्वीर हमेशा से पाठकों को अपनी ओर रिझाने का काम करती है. प्रिन्ट मीडिया हो या डिजिटल मीडिया या फिर हो टीवी मीडिया, तस्वीरों का महत्व हर जगह एक जैसा रहा है. खासकर डिजिटल मीडिया ने तस्वीरों को पेश करने के सलीके में जिस तरह की तब्दीली की है, उससे फोटो के बिना लेखों और ख़बरों की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
फोटोग्राफी डे की २०२० की थीम
इस साल की थीम की बात करें सोशल मीडिया पर हैश टैग वर्ल्ड फोटोग्राफी डे का इस्तेमाल कर कई तरह की तस्वीरों को साझा किया जा रहा है. दुनिया भर के फोटोग्राफर इस थीम के आधार पर तस्वीरें ले रहे हैं.
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