किसान कांग्रेस और किसान यूनियन के कुछ संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि किसान इस समय वैश्विक महामारी कोरोना के चलते संकट में है. अतः किसानों के सभी प्रकार कर्ज पूरी तरह से माफ़ किया जाएं. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र द्वारा किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने यह भी कहा है कि यदि किसानों को इसी तरह से नजरअंदाज किया जाएगा तो किसान सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
उन्होंने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से कहा कि किसान कांग्रेस यह मांग करती है कि किसानों को कर्ज से मुक्त किया जाए जिससे किसान बिना किसी बोझ के, भविष्य की तरफ बढ़ सकें और भारत के निर्माण में सहयोग कर सकें. सोलंकी ने प्रधानमंत्री से यह आग्रह भी किया कि किसानों की मदद के लिए एक वित्तीय राहत पैकेज की घोषणा की जाए. बता दें किसान कांग्रेस और कुछ किसान संगठन पिछले कुछ दिन से लगातार किसानों की कर्ज माफी की मांग कर रहें है. इस बार कर्जमाफी की मांग सड़कों पर उतरकर नहीं हो रही बल्कि ऑनलाइन आन्दोलन के जरिए हो रही है.
क्या है कर्जमाफी ?
जब कर्जमाफी की जाती है तो बैंक पूरी तरह से कर्ज वसूली को निरस्त कर देता है और किसी प्रकार की किश्त और राशि नहीं लेगी. आमतौर किसान कर्ज माफी इस तरह से ही की जाती है.
कर्जमाफी और राइट ऑफ कर्जमाफी में अंतर
ऐसे कर्जदार जो सक्षम होने के बावजूद जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहें है. उन्हें विलफुल डिफॉल्टर कहा जाता है. लेकिन जब बैंक को इनसे कर्ज वापसी की उम्मीद नहीं रहती तो बैंक इनके कर्ज को राइट ऑफ कर देते हैं यानी बकाए खाते में डाल दी जाती है. जब इस प्रकार के लोगो का कर्ज माफ़ किया जाता है तो बैंक इसे कर्जमाफी के श्रेणी में नहीं रखता.
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