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सुमिन्तर इंडिया के आदर्श प्रक्षेत्र पर किसानों ने लिया जैविक खेती की जानकारी

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक्स ने किसानों को जैविक खेती की जानकारी देने के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सोयाबीन, हल्दी एवं गन्ना के "आदर्श प्रक्षेत्र" का विकास किसान की सहभागिता से किया है. जिसका उद्देश्य कम खर्च, स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर रसायन के साथ तैयार होने वाली फसल के समानांनतर उत्पादन प्रप्त करना है. इन "आदर्श प्रक्षेत्र" को अन्य किसानों ने किसानों ने देखा. प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें आसपास उगने वाली वनस्पती की पहचान करायी गयी जिसका उपयोग हम जैविक कीटनाशी बनाने में कर सकते हैं.

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक्स ने किसानों को जैविक खेती की जानकारी देने के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सोयाबीन, हल्दी एवं गन्ना के "आदर्श प्रक्षेत्र" का विकास किसान की सहभागिता से किया है. जिसका उद्देश्य कम खर्च, स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर रसायन के साथ तैयार होने वाली फसल के समानांनतर उत्पादन प्रप्त करना है. इन "आदर्श प्रक्षेत्र" को अन्य किसानों ने किसानों ने देखा. प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें आसपास उगने वाली वनस्पती की पहचान करायी गयी जिसका उपयोग हम जैविक कीटनाशी बनाने में कर सकते हैं.

जैविक सोयाबीन के "आदर्श प्रक्षेत्र" को देखकर किसानों ने जिज्ञासा पूर्वक प्रश्न किया जिसका उत्तर कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने विस्तार में दिया. जिसमें अच्छी गुणवत्ता वाली खाद बनाना, पयोग का तरीका बुवाई से पूर्व बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, जैविक विधी से बीज उपचार , जैव उर्वरक का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण एवं कीट नियंत्रण कैसे करें बताया. खेत में लगे फेरोमोन ट्रैप में फसें कीट को देखकर किसानों को विश्वास हुआ की अगर कीट फसल तक पहुंचेगा ही नहीं तो क्षति नहीं होगी.

"आदर्श प्रक्षेत्र" से ही स्थनीय वनस्पति कीटनाशी वनस्पति से कीटनाशी बनाकर दिखाया गया. पीला चिपचिपा ट्रैप बीना खर्च के कैसे बनाया जाए इसके बारे में भी जानकारी दी गयी. फसल की बढ़वार एवं कीट प्रकोप ना होने पर किसानों ने सवाल किया तो यह मालूम हुआ की बढ़वार का कारण जैव उर्वरक से बीज का उपचार कर बोना एवं समय से स्थानीय वनस्पति से कीटनाशक बनाकर स्प्रे करना है.

हल्दी के जैविक "आदर्श प्रक्षेत्र" को देखकर सतारा जनपद के किसान आश्चर्यचकित थे. सामान्यत: किसान हल्दी की खेती में रासायनीक उर्वरक का अधिक मात्रा में प्रयोग करते हैं परन्तु "आदर्श प्रक्षेत्र" पर गोबर खाद, जीवाणु खाद, घनजीवामृत से तैयार होती फसल देखकर विश्वास हुआ की जैविक विधी से भी हल्दी की अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

संजय श्रीवास्तव ने किसानों को बताया कि जो किसान बीज उपचार या बुवाई के समय नहीं कर सके हैं वे खड़ी फसल में जमाव के बाद जैव उर्वरक का घोल सिंचाई के जल के साथ सांयकाल खड़ी फसल में दे सकते हैं.

गन्ना के "आदर्श प्रक्षेत्र" को देखकर सोलापुर के किसानों ने बढ़वार का तुलनात्मक अध्ययन हेतु तैयार "आदर्श प्रक्षेत्र" पर तैयार हो रहे गन्ना एवं साथ वाले खेत में तैयार हो रहे गन्ने को काटकर लम्बाई नापा एवं गन्ने की पोर की बढ़वार देखा गया. "आदर्श प्रक्षेत्र" की गन्ने की बढ़वार पर वरिश्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने बताया कि गन्ने की बुवाई के समय उपलब्ध गोबर से अच्छी जैविक खाद, वेस्ट डिकमपोजर से बानाया गया एवं प्रयोग हुआ. वेस्ट डिकम्पोजर का विकास एन.सी.ओ.एफ ग़ाज़ियाबाद ने किया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित जीवाणु खाद - पूसामाइकोराइजा, एजोटोबैक्टर, पी.एस.बी, जिंक एवं पोटाश जीवाणु खाद का उपयोग किया गया. सिंचाई के दौरान वेस्ट डिकम्पोजर घोल, जीवामृत, जीवाणु खाद का प्रयोग खड़ी फसल में सिंचाई के जल के साथ किया गया. "आदर्श प्रक्षेत्र" के किसान अरुण रमण जो ग्राम घोटी के निवासी हैं वो जैविक विधी से उगाए गन्ने से संतुष्ट दिखे उनका कहना है कि सुमिन्तर कंपनी के संजय श्रीवास्तव जी के मार्गदर्शन से हमने गोबर गैस सलरी का अच्छा उपयोग करना, अच्छा खाद बनाने के बारे में जाना. आज हमारे खेत में बीना रसायन खाद के भी अच्छा गन्ना खड़ा है जो अगले माह कारखाने में जाने के लिए तैयार है.

प्रक्षेत्र देखने आए किसानों को कृषि जागरण का जैविक खेती विशेषांक, जैव उर्वरक एवं स्वयं से निर्मित वानास्पतिक कीटनाशी का वितरण किया गया.

 

जिम्मी

English Summary: Information about organic farming taken by farmers on the ideal field of Sumeetant India Published on: 08 September 2018, 07:22 AM IST

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