आम का नाम सुनकर हर भारतीय के मुंह में पानी आ जाता है. पके हुए, रसीले, मीठे आम सभी को पसंद होते है. आम का रस, मैंगो शिकंजी, मैंगो आइसक्रीम की बात हो या आम से बनी मिठाईयों और खट्टे–मीठे आम पापड़ की हर फ्लेवर में आम लाज़वाब और स्वादिष्ट होता है.
गर्मी के मौसम में बाजार में पके हुए आमों की बहार होती है, जहां मालदा, दशहरी, सफेदा आदि किस्म के आम मिलते हैं. फलों का राजा कहे जाने वाला आम स्वाद में बहुत ही रसीला होता है, साथ ही सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद होता है. जब आम पकता है, तो उसका रंग सफेद से पीला हो जाता है, जिसमें कैरोटीन पाया जाता है, जो कि हमारे शरीर में जाकर विटामिन 'ए' में परिवर्तित हो जाता है. इसमें विटामिन 'सी' भी काफी होता है.
आम से संबंधित ज़रुरी जानकारियां (Important information related to mango)
भारत में आम को फलों का राजा माना जाता है. इसे प्राचीन ग्रंथों में कल्पवृक्ष का नाम दिया गया है. वैसे तो देश के अधिकांश राज्यों में आम के बाग हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों में आम का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है. भारत की अग्रणी निर्यात किस्मों की बात करें, तो इसमें अल्फोंसो, केसर, तोतापुरी और बनगनपल्ली का नाम शामिल है. भारत दुनिया में आम का सबसे उत्पादक है.
हमारे देश में कई किस्मों के आम उगाए जाते हैं, जिनका निर्यात देश के बाहर भी होता है. इसके चलते ही कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority/APEDA) द्वारा खाड़ी देश कतर की राजधानी दोहा में भारतीय आम की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. बता दें कि दोहा अरब देशों में से एक है, जो फ़ारस की खाड़ी में स्थित प्रायद्वीपीय देश क़तर की राजधानी है. दोहा यहां का सबसे बड़ा नगर है. यह शहर पूर्वी तट पर स्थित है, साथ ही देश का प्रमुख आर्थिक केंद्र भी है. ऐसे में एपीडा ने देश के पूर्वी हिस्से में आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है. इस बात की जानकारी एपीडा के ट्विटर हैंडल से दी गई. अगर आप इस संबंध में और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ते रहिए.
भारतीय किसानों की आय में इजाफा (Increase in income of Indian farmers)
भारत सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है. हाल ही के कुछ महीनों की बात करें, तो कई फलों का अमेरिका, खाड़ी और यूरोपीय देशों में निर्यात किया गया है. एपीडा की मदद से निर्यात के कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा रहा है, ताकि किसानों की आय बढ़ सके.
एपीडा ने किया ट्वीट (Apeda tweeted)
एपीडा ने ट्वीट कर जानकारी दी कि दोहा में आम की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग आम की किस्मों को शामिल किया गया है. कुछ समय पहले भी इसी तरह की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें जीआई टैग प्राप्त आम की किस्मों को भी शामिल किया गया था. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप https://bit.ly/3e1KCjp पर जाकर विडिट कर सकते हैं.
प्रदर्शनी में आम की कुल 16 किस्में शामिल (A total of 16 varieties of mangoes are included in the exhibition)
एपीडा की मानें, तो इस प्रदर्शनी में आम की कुल 16 किस्मों को शामिल किया गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल का खिरसापति व लक्ष्मणभोग आम शामिल था. इसके अलावा बिहार का जर्दालु आम भी शामिल था.
आमों के निर्यात के लिए, एपीडा की कोशिशें जारी (For export of mangoes, APEDA's efforts continue)
आमों का निर्यात मुख्य रूप से 3 तरह से होता है.
-
ताजे आम
-
आम का गूदा
-
आम के स्लाइस
ध्यान दें कि आमों को एपीडा पंजीकृत पैक हाउस सुविधा केंद्रों द्वारा प्रोसेस किया जाता है. इसके बाद मिडल ईस्ट, जापान, यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया समेत अन्य क्षेत्रों व देशों में निर्यात किया जाता है. एपीडा के माध्यम से निर्यात के काम को सफलतापूर्वक अंजाम दे रही सरकार की कोशिश, किसानों की आय बढ़ाने की है ताकि वे खुशहाल और समृद्ध जीवन जी सकें. एपीडा गैर-पारंपरिक क्षेत्रों तथा राज्यों से आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाता रहा है. एपीडा आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकों तथा उत्सवों का आयोजन करता रहा है. हाल ही में, इसने जर्मनी के बर्लिन में आम महोत्सव का आयोजन किया था.
दक्षिण कोरिया को आम का निर्यात बढ़ाने की एक कोशिश में एपीडा ने सियोल स्थित भारतीय दूतावास और कोरिया के इंडियन चैंबर ऑॅफ कॉमर्स के सहयोग से, कुछ महीनों पूर्व एक वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया था. भारत से अब तक यूएई, ईयू और नेपाल को आम का निर्यात होता रहा है लेकिन अब दूसरे देशों को भी आम का निर्यात करने की तैयारी है. इनमें जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस शामिल हैं. भारत दुनिया में आम का सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन निर्यात के मामले में वह मेक्सिको और पाकिस्तान से भी पिछड़ा हुआ है. पिछले वित्त वर्ष में आम का निर्यात उससे पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा था. वर्ष 2019-20 में भारत से 5.6 करोड़ डॉलर का आम निर्यात हुआ था, जबकि पिछले साल अप्रैल से फरवरी के बीच करीब 2.83 करोड़ डॉलर का आम निर्यात किया गया. इसकी एक बड़ी वजह कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन को माना जा रहा है, जो आम के पीक सीजन के समय लगा था.
देश से आम की कुछ ही किस्मों का निर्यात किया जाता है. अब इसमें विविधता लाने की तैयारी है. उत्तरी राज्यों में होने वाली आम की किस्मों को भी निर्यात किया जाएगा. साथ ही अमेरिका को भी आम का निर्यात बहाल करने की योजना है. एपीडा के द्वारा लंगड़ा, दशहरी, हिमसागर और जरदालू जैसी किस्मों के निर्यात की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं. अभी हमारे निर्यात में अल्फोंसो और केसर का दबदबा है लेकिन आम की दूसरी किस्मों की भी भारी मांग है. दुनियाभर में भारतीय मूल के लोग और दूसरे लोग भी इनकी मांग कर रहे हैं.
इस साल एपीडा उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के आमों के निर्यात पर जोर दे रहा है. इसके लिए वाराणसी और सहारनपुर में कई प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जा सके, साथ ही मथुरा, उत्तराखंड और बिहार में विकिरण (irradiation) सुविधा शुरू करने की योजना है. लखनऊ, नासिक, बेंगलूरु में पहले से ऐसी सुविधा है.
आपके पसंदीदा फलों, सब्जियों और फसलों से संबंधित अधिक जानकारी पाने के लिए पढ़ते रहिएं कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट .
Share your comments