
भारत फ्रोजन फ्रेंच फ्राई बनाने में दुनिया की सूची में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. हर साल 60 मिलियन टन से ज़्यादा आलू की खेती करता है, और यह पहले से ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है. फ्रोजन फ्रेंच फ्राई की खपत 15 से 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जिसे फास्ट फूड चेन, आधुनिक खुदरा बाज़ार और निर्यात आगे बढ़ा रहे हैं. गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में फैक्ट्री, मशीन लाइनें और कोल्ड स्टोरेज तेज़ी से बनाए जा रहे हैं.
जो चीज़ तेज़ी से नहीं बढ़ रही है, वह है प्रशिक्षित और कुशल लोग
श्री सौंदरराजने, सीईओ, हाई फार्म, हायफन फूड्स का कहना है, “हमारे पास ज़मीन है. हमारे पास फैक्ट्रियां हैं. हमारे पास मांग भी है, जो चीज़ हमारे पास अब तक नहीं है, वह है पर्याप्त और योग्य कुशल लोग. हमें खेती के विज्ञान, मिट्टी के अध्ययन, रोगों की पहचान, इंजीनियरिंग, कोल्ड स्टोरेज, डिजिटल एग्रीकल्चर और किसानों से जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में नई पीढ़ी के पेशेवर लोगों की सख्त ज़रूरत है.”
यह सिर्फ फ्रोजन फ्रेंच फ्राई का मामला नहीं है. यह एक बड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की योजना है, जो गुणवत्ता, निगरानी और टिकाऊ तरीकों पर आधारित है - और इस पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर समझदार और कुशल नेताओं की ज़रूरत है.
विकास की झलक
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दुनिया में आलू उत्पादन में दूसरा स्थान
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फ्रोजन हुई फ्रेंच फ्राई की खपत में हर साल 15–20% की वृद्धि
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कोल्ड चेन और ऑटोमैटिक प्रोसेसिंग प्लांट्स का तेज़ी से निर्माण
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जैसे-जैसे आलू की क्वालिटी वैश्विक फास्ट फूड मानकों से मेल खा रही है, निर्यात भी बढ़ रहा है
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बीज से लेकर दुकानों तक निवेश मज़बूत है- लेकिन कुशल लोगों की कमी है
जहां सबसे बड़ी कमी है:
1. बीज विकसक और बीज वैज्ञानिक
प्रोसेसिंग के लिए सही फ्रेंच फ्राई उन्हीं किस्मों से बनती हैं जिनमें अधिक सूखा पदार्थ, कम शर्करा, रोग प्रतिरोधकता और जलवायु सहनशीलता हो. भारत अभी भी कुछ ही किस्मों पर निर्भर है, जो न तो स्थानीय मिट्टी के लिए अनुकूल हैं और न ही लंबे समय तक भंडारण के लिए उपयुक्त.
ज़रूरत है:
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भारत के लिए अनुकूल, जलवायु सहनशील प्रोसेसिंग किस्में
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लेट ब्लाइट, पीवीवाई जैसे रोगों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधकता
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विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षण ताकि हर इलाके की उपयुक्त किस्में चुनी जा सकें
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बीज कंपनी, किसान समूह और प्रोसेसर के सहयोग से बीज का तेज़ी से बढ़ाव
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शुद्धता बनाए रखने के लिए आधुनिक जैविक उपकरण और खेत स्तर पर सख्त जांच
रणनीतिक आवश्यकता: किस्मों का आधार विस्तृत करें, नहीं तो गुणवत्ता और भंडारण में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं.
2. बीज उत्पादन और व्यावसायिक खेती के लिए कृषि वैज्ञानिक
गुणवत्ता की शुरुआत रोग-मुक्त बीज (G0–G4) से होती है और किसानों के खेतों में पूरी होती है. दो तरह के विशेषज्ञों की भारी कमी है:
बीज उत्पादन विशेषज्ञ:
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अलगाव, छंटाई, वायरस जांच और सर्टिफिकेशन
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टिश्यू कल्चर/एयरोपोनिक्स से शुरुआती बीज उत्पादन का समर्थन
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किस्म की शुद्धता बनाए रखने के लिए बीज वैज्ञानिकों से तालमेल
व्यावसायिक उत्पादन विशेषज्ञ:
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फ्रेंच फ्राई की आवश्यकताओं के अनुसार सिंचाई, पोषण और दूरी को नियंत्रित करना
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अधिक सूखा पदार्थ, एकसमान आकार और अच्छी छिलका प्राप्त करना
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खुदाई का समय फैक्ट्री के अनुसार तय करना
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खेती की तकनीक को भंडारण और प्रोसेसिंग से जोड़ना
कमी: सामान्य खेती के जानकार बहुत हैं, लेकिन प्रोसेसिंग योग्य खेती के विशेषज्ञ बहुत कम - जिससे रिजेक्शन और नुकसान हो रहे हैं.
- मिट्टी वैज्ञानिक और पौध रोग विशेषज्ञ
तेज़ी से खेती करने से मिट्टी की गुणवत्ता गिर रही है और रोग बढ़ रहे हैं.
मिट्टी वैज्ञानिक:
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खेत स्तर पर मिट्टी की बनावट, पीएच, पोटाश और जीवाणु स्थिति का विश्लेषण
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उर्वरक और सुधारक सुझाना ताकि सूखा पदार्थ बढ़ सके
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अनुबंध खेती वाले क्षेत्रों में टिकाऊ फसल चक्र को बढ़ावा
पौध रोग विशेषज्ञ:
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लेट ब्लाइट, पीवीवाई, बैक्टीरियल विल्ट के लिए प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम बनाना
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आईपीएम (एकीकृत कीट प्रबंधन), साफ बीज और प्रमाणन की प्रक्रियाएं लागू करना
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रोग प्रतिरोधकता से जुड़ी जानकारी बीज वैज्ञानिकों को देना
कमी: ऐसे वैज्ञानिक बहुत कम हैं जो खेत की समस्या को व्यावसायिक परिणामों से जोड़ पाते हों — इससे रिजेक्शन और भंडारण में नुकसान बढ़ता है.
4. कोल्ड चेन और यांत्रिकी इंजीनियर
साधारण कोल्ड स्टोरेज और हाथ से ग्रेडिंग करने वाली तकनीक से एक समान और सही गुणवत्ता वाले आलू नहीं मिल सकते.
कोल्ड चेन इंजीनियर:
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बिना सीआईपीसी (CIPC) के स्टोर सिस्टम बनाना जो नए नियमों के अनुकूल हो
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तापमान, कार्बन डाइऑक्साइड, नमी को नियंत्रित करने के लिए सेंसर लगाना
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हवा का बहाव, ढेर की ऊंचाई और ऊर्जा की खपत को अनुकूल बनाना
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24x7 निगरानी के लिए रिमोट सिस्टम और ऑटोमेशन जोड़ना
खेत यांत्रिकी इंजीनियर:
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सटीक रोपण मशीनें, खुदाई करने वाले उपकरण और स्मार्ट हार्वेस्टर लगाना
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आकार और वजन के आधार पर ग्रेडिंग मशीनें लगाना
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जहां मज़दूर नहीं मिलते, वहां मशीनें लगाकर समाधान करना
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ऑपरेटर और किसान समूहों को प्रशिक्षण देना
निष्कर्ष: बड़ी मात्रा और एकसमान गुणवत्ता के लिए आलू के हिसाब से बनी तकनीक अनिवार्य है.
5. डिजिटल एग्री-टेक एक्सपर्ट्स
अधिकांश कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अब भी कागज़ और अनुभव पर चल रही है. डेटा इसमें बदलाव ला सकता है.
मुख्य भूमिकाएं:
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सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग से क्षेत्र, फसल की स्थिति और कटाई का समय जानना
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सिंचाई, पोषण और रोग जोखिम के लिए एआई आधारित सलाह देना
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बड़े डेटा प्लेटफार्म से इनपुट, मौसम, कीट, उत्पादन और गुणवत्ता को जोड़ना
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किसानों के लिए ऐप और डैशबोर्ड जिससे कॉन्ट्रैक्ट, गुणवत्ता और भुगतान की जानकारी मिले
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आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), क्यूआर कोड और ब्लॉकचेन से पूरी प्रक्रिया की निगरानी
अवसर: बीज से फ्राई तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाना भरोसा और कुशलता दोनों बढ़ाता है.
6. गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा तकनीकी विशेषज्ञ
हर फ्रेंच फ्राई में सूखा पदार्थ, शर्करा, रंग, बनावट जैसे मानकों को पूरा करना होता है - वो भी कड़े सुरक्षा नियमों के तहत.
मुख्य ज़िम्मेदारियां:
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प्रयोगशाला और मशीनों पर चलती लाइन में जांच करना
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घरेलू और निर्यात बाज़ारों के लिए कीटाणु और रसायन सुरक्षा सुनिश्चित करना
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FSSC 22000, HACCP, ISO 22000 जैसे मानकों को लागू करना और ऑडिट संभालना
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आने वाले माल की जांच, सप्लायर ऑडिट और गड़बड़ी को ठीक करना
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खरीद, उत्पादन और अनुसंधान टीम से लगातार संवाद रखना
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फास्ट फूड चेन, दुकानदारों और ग्राहकों के ऑडिट के लिए तैयारी करना
कमी: बहुत कम क्वालिटी एक्सपर्ट हैं जिन्हें आलू या फ्रोजन उत्पादों की जानकारी हो - इसलिए रोकथाम की जगह नुक़सान के बाद सुधार होता है.
7. फार्मर क्लस्टर मैनेजर और विस्तार अधिकारी
डिजिटल जानकारी से जुड़े और अनुशासित किसान समूह एक मजबूत सप्लाई सिस्टम की रीढ़ हैं.
उन्हें करना होगा:
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किसानों को डिजिटल सिस्टम में पंजीकृत समूहों में संगठित करना
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पूरे सीजन की ट्रेनिंग देना ताकि उनकी फसल प्रोसेसर की ज़रूरतों के अनुसार हो
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डिजिटल अनुबंध लागू करना - जिसमें इनपुट, दाम, डिलीवरी की शर्तें और शिकायत समाधान हो
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बुवाई की तारीख, किस्म, रोग और उत्पादन का रिकॉर्ड रखना
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किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, गुणवत्ता निरीक्षकों और खरीद टीम को जोड़ना
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मोबाइल पर सलाह, क्यूआर कोड बैच और वास्तविक समय में लॉजिस्टिक्स साझा करना
कमी: कागज़, स्प्रेडशीट और बिखरी हुई बातचीत ही आम हैं. पेशेवर ग्रामीण प्रबंधक इस प्रणाली को बदल सकते हैं.
एक राष्ट्रीय टैलेंट एजेंडा
इस तेजी को असली नेतृत्व में बदलने के लिए अब निवेश को मशीनों से हटाकर लोगों पर केंद्रित करना होगा:
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कृषि, इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में आलू-केंद्रित पाठ्यक्रम शुरू करें
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महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रोसेसिंग पर केंद्रित टैलेंट हब स्थापित करें
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मैदान पर काम करने वाली भूमिकाओं के लिए इंटर्नशिप, प्रमाणपत्र और फैलोशिप दें
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डिजिटल खेती, कोल्ड चेन और प्रोसेसिंग एग्रोनॉमी में सार्वजनिक-निजी प्रशिक्षण साझेदारी बनाएं
श्री सौंदरराजने जी का कहना है. “हम विश्वविद्यालयों, स्टार्टअप्स, नए स्नातकों और नीति निर्माताओं को आमंत्रित करते हैं- सिर्फ़ मांग पूरी करने के लिए नहीं, बल्कि उसका नेतृत्व करने के लिए . भारतीय कृषि में अगली बड़ी छलांग फसल से नहीं, टैलेंट से आएगी."
निष्कर्ष: लोगों के बल पर फ्रेंच फ्राई क्रांति
भारत की फ्रेंच फ्राई की कहानी कोई तात्कालिक फास्ट फूड ट्रेंड नहीं है; यह एक ग्रामीण बदलाव की योजना है जिसमें फसल विज्ञान, इंजीनियरिंग, डेटा और निर्यात अर्थशास्त्र मिलकर काम कर रहे हैं. सिर्फ आधारभूत ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) इसे सफल नहीं बना सकता. इसके लिए ज़रूरत है - इंजीनियरों, बीज वैज्ञानिकों, गुणवत्ता विशेषज्ञों, डिजिटल तकनीशियनों और फील्ड मैनेजरों की.
यह क्षेत्र उड़ान भरने के लिए तैयार है. अब समय है कि भविष्य के लीडर इसमें आगे आएं - और इसे दिशा दें.
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