कुपोषण दूर करने वाली फसलों की खेती करने को सरकार जहां विशेष प्रोत्साहन देगी, वहीं उनकी उपज को उचित बाजार दिलाने दिशा में विशेष कदम उठाये जाएंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के कृषि वैज्ञानिकों ने बहु पोषक तत्वों से भरपूर फसलों, फल और सब्जियों की प्रजातियां विकसित की हैं। लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में उन फसलों की व्यावसायिक खेती नहीं हो पा रही है। इससे न किसानों को लाभ मिला और न ही कुपोषण के शिकार गरीबों का उद्धार हो पा रहा है।
कृषि मंत्रालय ने आम बजट इसके विशेष वित्तीय प्रावधान करने की गुजारिश की है। गरीबी और कुपोषण जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने नायाब पौष्टिक फसलें, फल और सब्जियों की प्रजातियां तैयार की गई हैं। लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में ऐसी अनूठी उपज का लाभ लेना संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन वितरित करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका लाभ ऐसे स्कूलों को दिया जा सकता है।
पौष्टिक तत्वों से भरपूर उपज वाली फसलें, फल और सब्जियों की प्रजातियां तैयार हो चुकी हैं। लेकिन किसान इन्हें क्यों अपनाए? इसकी खेती क्यों करे? यह सवाल कृषि वैज्ञानिकों को खाये जा रहा है। पोषक तत्वों से भरपूर इनकी उपज को बाजार की सख्त जरूरत है। इसके लिए कृषि मंत्रालय ने ऐसी नायाब उपज के लिए बाजार श्रृंखला तैयार करने पर जोर दिया है ताकि कुपोषण के शिकार गरीबों को उबारा जा सके।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइएआरआइ) के वैज्ञानिकों ने उच्च प्रोटीन और जिंक युक्त चावल, गेहूं, बाजरा, तिल, बहु पोषक मक्का, सरसों का उच्च गुणवत्ता वाला तेल और तरह-तरह की सब्जियां और फल तैयार की हैं। गरीबों की रसोई तक पोषक तत्वों वाले ऐसे कृषि उत्पादों को पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए आम बजट से विशेष आस लगाई गई है, ताकि किसान ऐसी फसलों व फल-सब्जियों की खेती को अपनाए और उन्हें बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो।
साभार
दैनिक जागरण
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