Wheat Harvesting: गेहूं की कटाई का सीजन अब शुरू हो चुका है. ऐसे में कटाई के दौरान किसानों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इस संबंध में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) ने कहा है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के किसानों को गेहूं की फसल के लिए उचित नमी की मात्रा सुनिश्चित करें, क्योंकि कटाई 10 अप्रैल के बाद चरम पर होगी.
भीषण गर्मी की भविष्यवाणी
भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही अप्रैल-जून की अवधि में भीषण गर्मी की भविष्यवाणी की है. आईआईडब्ल्यूबीआर ने कहा है कि मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के किसानों को कटाई के समय उचित नमी की मात्रा (12-13 प्रतिशत) सुनिश्चित करनी चाहिए और सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था करनी चाहिए. एडवाइजरी में कहा गया है, "उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम भारत के किसानों को फसल की आवश्यकता के अनुसार हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है ताकि परिपक्वता के लिए मिट्टी में उचित नमी बनी रहे."
ऐसे करें गेहूं की फसल का बचाव
इसके अलावा, आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि यदि अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो किसान फसल को सूखने से बचाने और गर्मी के तनाव को कम करने के लिए गेहूं के एंथेसिस चरण में 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एमओपी घोलकर) या 2 प्रतिशत केएनओ 3 (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4 किग्रा) का छिड़काव कर सकते हैं.
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में, किसानों को पीले रतुआ या भूरे रतुआ के बारे में सतर्क रहना चाहिए और प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का छिड़काव करना चाहिए. इसमें कहा गया है कि प्रोपीकोनाजोल 25ईसी की 1 मिलीलीटर मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाया जाना चाहिए और 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव किया जाना चाहिए.
हल्की सिंचाई की सलाह
किसानों से देर से बोई गई फसल में हल्की सिंचाई ही करने को कहते हुए कहा कि कटाई से 8-10 दिन पहले फसल में सिंचाई बंद कर दें. सरकार तापमान बढ़ने की स्थिति में 2022 की स्थिति की पुनरावृत्ति से बचने के लिए बहुत ध्यान केंद्रित कर रही है. क्योंकि दो साल पहले तापमान में अचानक वृद्धि के कारण कई स्थानों पर गेहूं सिकुड़ गया था, जिससे उपज और उत्पादन पर असर पड़ा था. इस वर्ष, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपज में कोई हानि न हो, पहले से ही बड़ी संख्या में जलवायु अनुकूल किस्मों का वितरण किया है.
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