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इन्फ्लूएंजा ए1एच1 या स्वाइन फ्लू के 4994 मामलों में से लगभग 1694 मामले 13 जनवरी 2019 तक सामने आए हैं और यह आंकड़ा जनवरी के महीने में पिछले साल दर्ज किए गए 798 मामलों से दोगुना है. 2018 में 14999 मामलों की पुष्टि की गई थी.
जबकि देश में स्वाइन फ्लू से 1103 मौतें हुई हैं. स्वाइन फ्लू के मामलों की संख्या में वृद्धि आम तौर पर भारत के उत्तरी हिस्सों में जनवरी के महीने में और फरवरी से मार्च के दौरान देश के कई हिस्से में होती है. नाम न छापने की शर्त पर नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ फ्लू के मामले अधिक होते हैं. इसलिए जनवरी में अधिक मामलों का होना अजीब नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि भारत में इस वर्ष का प्रमुख इन्फ्लूएंजा तनाव ए1एच1 है. वातावरण में कईं वायरस होते हैं जिसके परिणामस्वरूप संख्या बढ़ती है. रिकॉर्ड के अनुसार राजस्थान 2019 के पहले 2 हफ्तों में 789 मामलों और 31 मौतों के साथ देश में स्वाइन फ्लू का सबसे प्रभावित राज्य रहा. अन्य प्रभावित राज्यों में गुजरात, दिल्ली और हरियाणा शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन सर्वे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के अनुसार यह वायरस हर साल दुनिया की आबादी का 5 से 15 प्रतिशत हिस्सा संक्रमित करता है जिससे बुखार, थकान और खांसी होती है. हालांकि यह एक स्वसीमित वायरस है. उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है. जैसे बूढ़े, बच्चे और सहरुग्ण स्थिति वाले लोग जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप और कैंसर आदि.
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क्या कहना है स्वास्थ्य मंत्री का
इस बीच राजस्थान सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया है कि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे राजस्थान में ए1एच1 के लिए दवा उपलब्ध करवाई है. इसके अलावा डॉक्टरों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टॉफ की छुट्टीयां भी रद् कर हम स्थिति पर नज़र रख रहे हैं. जहां स्वाइन फ्लू का मामला पाया गया है वहां पूरे क्षेत्र में जांच की गई है.
इस बीमारी से बचाव -
1. स्वाइन फ्लू से दूर रहने का सबसे अच्छा तरीका वार्षिक फ्लू टीकाकरण है.
2. इसके अलावा स्वाइन फ्लू को कम करने के कुछ अन्य आसान तरीकों में नियमित रूप से साबुन या हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोना शामिल है. खुद को साफ और कीटाणुरहित रखना महत्वपूर्ण है.
3. इसके अलावा अपनी नाक, मुंह या आंखों को न छुएं.
4. सर्दी और बदन दर्द के साथ तेज बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
जानें यह फ्लू किन लोगों को जल्दी प्रभावित करता है -
जो 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं.
जो 65 साल या उससे अधिक उम्र के हैं.
बच्चे और किशोर (18 वर्ष) से कम जो लंबे समय तक एस्पिरिन थेरेपी प्राप्त कर रहे हैं और जो स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने के बाद रेयेस के सिंड्रोम के लिए खतरा हो सकते हैं. रेयेस सिंड्रोम बच्चों में एस्पिरिन के उपयोग से जुड़ी एक जानलेवा बीमारी है.
गर्भवती महिला
वयस्क और क्रोनिक फेफड़े, हृदय, यकृत, रक्त, तंत्रिका तंत्र, न्यूरोमस्कुलर या चयापचय समस्याओं वाले बच्चे.
वयस्क और बच्चे जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर चुके हैं (उनमें जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए दवाएं लेते हैं या जो एचआईवी से पीड़ित हैं.
एंटी-वायरल दवाएं
मौसमी फ्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ ऐसी ही एंटीवायरल दवाएं भी हैं जो ए1एच1 स्वाइन फ्लू के खिलाफ काम करती हैं. ओस्लेटमाइविर और जनामिवीर अच्छा काम करते हैं हालाँकि कुछ प्रकार के स्वाइन फ़्लू ओस्लेटमाइविर से ठीक नहीं होते.
ये दवाएं आपको अच्छी तरह से ठीक होने में मदद कर सकती हैं. अगर आप उन्हें पहले फ्लू के लक्षणों के 48 घंटों के भीतर लेते हैं तो वे सबसे अच्छा काम करते हैं लेकिन अगर आप उन्हें बाद में लेते हैं तो यह आपके शरीर पर कोई असर नहीं करेगी.
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