फलदार पेड़ों की श्रेणी में बेर का अपना एक अलग महत्व है. इसकी सबसे बड़ी खासियत तो यही है कि एक बार पूरक सिंचाई के पश्चात वर्षा के पानी से भी ये अपना काम चला लेता है. इस पौधे को बहुवर्षीय और बहुउपयोगी कहा गया है, क्योंकि न सिर्फ इसके फल बल्कि पेड़ के अन्य भाग भी किसी न किसी रूप में उपयोग होते हैं. वैसे बेर की खेती करने वालो के लिए एक अच्छी खबर ये है कि अब भिवानी के गिगनाऊ गांव में इंटीग्रेटिड हार्टिकल्चर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित होने जा रहा है.
ग्राम पंचायत ने उपलब्ध कराई जमीन
इंडो-इस्राइल तकनीक पर स्थापित होने वाले इस सेंटर को ग्राम पंचायत ने 25 एकड़ जमीन प्रदान की है. इस सेंटर में फल-सब्जियों की वेरायटी पर काम किया जाएगा.
सरकार ने जारी किया 4 करोड़
इस सेंटर का बजट लगभग 10 करोड़ रुपए रखा गया है और फिलहाल सरकार ने 4 करोड़ रुपए जारी किए हैं. यहां थाईलैंड के ‘एप्पल बेर’ की वेरायटी का उत्पादन भी किया जाएगा. बता दें कि एप्पल बेर की डिमांड भारत के अलावा विदेशों में भी खूब है. इनके पौधें सेंटर में ही तैयार करने के बाद बाकि जगहों पर भेजे जाएंगें.
किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
बेर के साथ ही अन्य फल-सब्जियों की खेती का प्रशिक्षण किसानों को दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक हार्टिकल्चर मिशन के तहत उन्हें आर्थिक मदद एवं संसाधन भी उपलब्ध करवाएं जाएंगें.
गुणवत्ता में आएगा सुधार
वैसे तो ‘एप्पल बेर’ की खेती भारत में पहले से कुछ जगहों पर होती है, लेकिन सेंटर में इनके गुणवत्ता का सुधार किया जाएगा. इसके साथ ही फल-सब्जियों की भी नई वेरायटी लांच होने से किसानों की आय में बढ़ेगी.
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