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Mustard Farming: सरसों की उन्नत किस्म "झुमका सरसों" की करें खेती, कम लागत में मिलेगा बंपर उपज!

झुमका सरसों बिहार के किसानों के लिए एक लाभदायक किस्म है, जिसकी बुवाई सितंबर मध्य से की जाती है. इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है और पैदावार भी आम सरसों से ज्यादा होती है. कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली यह किस्म बाजार में अच्छी मांग रखती है.

KJ Staff
Mustard Farming
सरसों की उन्नत किस्म झुमका (सांकेतिक तस्वीर )

बिहार के विभिन्न जिलों में, विशेषकर पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सिवान, गोपालगंज, और समस्तीपुर जैसे इलाकों में इन दिनों सरसों की बुवाई का मौसम पूरे जोर पर है. सितंबर मध्य से शुरू होकर अक्टूबर तक सरसों की बुवाई का यह दौर चलता है. इस समय किसान खेतों की तैयारी, मिट्टी की जांच, उर्वरकों का संतुलन, और अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की खरीद-बिक्री में व्यस्त रहते हैं.

इसी बीच कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ किसान भाइयों को एक विशेष किस्म की सरसों अपनाने की सलाह दे रहे हैं, जिसका नाम है "झुमका सरसों". यह एक उन्नत किस्म है, जो न केवल अधिक उपज देती है, बल्कि बाजार में भी इसकी मांग काफी अधिक है.

क्या है झुमका सरसों और क्यों है ये खास?

झुमका सरसों की सबसे बड़ी खासियत इसके फलने के ढंग में है. इसके फल छोटे-छोटे झुमके जैसे लटकते हैं, जिससे इसे "झुमका" नाम दिया गया है. इसे खेत में देखकर पहचानना आसान होता है, जो किसानों के लिए एक अतिरिक्त सुविधा प्रदान करता है.इस सरसों की किस्म को वैज्ञानिक रूप से इस तरह तैयार किया गया है कि इसमें तेल की मात्रा 30-42% तक पाई जाती है, जो आम किस्मों की तुलना में कहीं अधिक है. यही वजह है कि इसका तेल अधिक शुद्ध, सुगंधित और गुणवत्तापूर्ण होता है, जिससे उपभोक्ताओं के बीच इसकी लोकप्रियता भी काफी है.

बुवाई का समय, खेत की तैयारी और उपयुक्त जलवायु

झुमका सरसों की बुवाई का सर्वोत्तम समय 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक माना जाता है. इस दौरान तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो सरसों की अच्छी वृद्धि के लिए उपयुक्त है. खेत की तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करें और बाद में 2-3 बार हल्की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. साथ ही, जैविक खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर भूमि की उर्वरता बढ़ाएं.

उत्पादन, लागत और लाभ

झुमका सरसों की फसल पकने में लगभग 120-130 दिन का समय लेती है, जो इसे मध्यम अवधि की फसल बनाता है. भले ही इसमें थोड़ी अधिक अवधि लगती हो, लेकिन पैदावार के मामले में यह अन्य किस्मों से कहीं आगे है.

  • दो एकड़ भूमि में झुमका सरसों की खेती पर लगभग ₹16,000 तक की लागत आती है.
  • कटाई के समय किसान एक एकड़ में 14 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
  • दो एकड़ में यह उपज 28 क्विंटल तक पहुंच सकती है.
  • इस हिसाब से किसान को प्रति एकड़ औसतन ₹10,000 से ₹12,000 तक का अतिरिक्त लाभ हो सकता है.यह सीधा लाभ किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

बाजार में उच्च मांग और बिक्री की सुविधा

झुमका सरसों की एक और खास बात यह है कि इसकी मांग बाजार में वर्ष भर बनी रहती है. अधिक तेल वाली किस्म होने के कारण सरसों तेल उत्पादन कंपनियां इसे प्राथमिकता देती हैं. किसान इस किस्म की सरसों को मंडी, प्रोसेसिंग यूनिट्स या स्थानीय तेल मिलों को आसानी से बेच सकते हैं. कई स्थानों पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए भी इसकी बिक्री सुनिश्चित हो रही है.

सरकार और कृषि विभाग की सलाह

कृषि विभाग बिहार और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के विशेषज्ञों का कहना है कि झुमका सरसों किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है. वे किसानों को समय पर बुवाई, उचित उर्वरक प्रबंधन, और फसल सुरक्षा उपायों के बारे में मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे हैं. कई जिलों में किसानों को इस किस्म के बीज रियायती दरों पर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

English Summary: high yield jhumka mustard variety for bihar farmers in september sowing season Published on: 20 September 2025, 04:42 PM IST

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