हरियाणा के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. दरअसल, राज्य में आने वाली 1 अप्रैल से गेहूं, चना, सरसों, दाल, सूरजमुखी और जौ की सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी. ऐसे में जो किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसलों को बेचना चाहते हैं, तो उनके लिए सबसे पहले एक ज़रूरी काम करना होगा, ताकि 1 अप्रैल से सरकारी खरीद शुरू होने के बाद किसी तरह की परेशानी न हो. आइए आपको इस संबंध में पूरी जानकारी देते हैं-
करना होगा ये काम
किसानों को फसलों की सरकारी खरीद के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा (Meri Fasal Mera Byora) पोर्टल https://fasal.haryana.gov.in/ पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. अगर किसानों ने ऐसा नहीं किया, तो उनकी फसलों की बिक्री नहीं हो पाएगी.
ज़रूरी दस्तावेज़
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अपना बैंक खाता
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खेती की जमीन का सही विवरण
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ऐच्छिक मंडी एवं फसल बेचने की अवधि आदि को अपलोड करवाना होगा.
इस प्रक्रिया को करने के बाद किसानों को फसल बेचने में कोई परेशानी नहीं आती है. अगर फिर भी किसी तरह की शिकायत है, तो किसान जिला स्तरीय कमेटी के समक्ष अपनी समस्या रख सकते हैं.
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान संगठन सबसे ज्यादा आवाज हरियाणा और पंजाब में ही उठा रहे हैं. इस मसले पर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) 2021-22 में किसी तरह की परेशानी न हो. जानकारी के लिए बता दें कि अब तक राज्य के 7.25 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रखा है.
80 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य
इस साल 80 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया है. बता दें कि आरएमएस 2020-21 में कुल गेहूं उत्पादन का 60.3 प्रतिशत यानी 74 लाख मिट्रिक टन की सरकारी खरीद हुई थी. इसके अलावा पहली बार जौ की एमएसपी पर खरीद की जा रही है. इसके लिए 7 मंडियां भी निर्धारित की गई हैं.
48 घंटे के अंदर मिलेगा पैसा
किसानों को मंडी में अपनी फसल बेचने के बाद जे-फार्म मिलता है, जिसमें बिक्री का ब्यौरा रहता है. बताया जा रहा है कि यह फार्म कटने के 48 घंटे के अंदर फसल-बिक्री की कीमत उसके खुद के बैंक खाते में या आढ़ती के खाते में भेज दी जाएगी.
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