हरियाणा के किसानों ने भू-जल को बचाने का फैसला कर लिया है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना (Mera Pani-Meri Virasat Scheme) को लगातार किसानों का समर्थन मिल रहा है. किसानों ने अब ठान लिया है कि वह राज्य के भूजल को बचाने में अपना पूरा सहयोग करेंगे. बता दें कि राज्य में भू-जल का स्तर लगभग 40 मीटर से ज्यादा नीचे जा चुका है. इस कारण सरकार की तरफ से किसानों को अधिक पानी वाली फसलों की खेती न करने की सलाह दी है. मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का भी यही उद्देश्य है, जिसको लगातार किसानों का समर्थन मिल रहा है. हालांकि, राज्य सरकार का फोकस लगभग 8 ब्लॉक पर था.
आपको बता दें कि राज्य के लगभग सभी जिलों के किसान इस योजना के तहत धान की खेती न करने का संकल्प ले रहे हैं. वह इसकी जगह वैकल्पिक खेती करना चाहते हैं. कृषि विभाग के मुताबिक, 4 जून तक राज्य के लगभग 41273 किसानों ने इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा दिया है. इन किसानों ने अपनी जमीन पर धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास, दलहन और बागवानी फसलों को उगाने का फैसला किया है. यह आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. इससे एक बात साफ है कि राज्य में इन वैकल्पिक फसलों का रकबा भी बढ़ जाएगा.
राज्य सरकार जिन 8 ब्लॉकों पर खास फोकस कर रही है, वहां भी लगभग 6045 किसानों ने अभी तक 6130.688 हेक्टर भूमि पर धान की खेती न करके अन्य फसलें की खेती करने का फैसला किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो किसानों ने पोर्टल पर अभी तक 6859.743 हेक्टेयर में मक्का, 7111.984 हेक्टेयर बाजरा, 26569.430 हेक्टेयर कपास, 751.401 हेक्टेयर दलहन और 3886.424 हेक्टेयर में बागवानी फसलों की खेती करने की इच्छा जता रहे है. इससे भू-जल को बचाने में काफी मदद मिल पाएगी.
हरियाणा सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को बहुत महत्वाकांक्षी माना जाता है. इस योजना के प्रति मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी काफी गंभीर है. इसके अलावा किसानों का पूरा समर्थन मिल ही रहा है.
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