देश के किसानों के लिए सरकार कई सरकारी योजनाएं बनाती रहती है और उनकी भलाई के लिए सरकार अपनी सभी योजनाओं में समय-समय पर बदलाव भी करती रहती है, ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. आपको बता दें कि देश के किसान भाईयों को फसल को लेकर कभी फायदा तो कभी नुकसान देखने को मिलता है, लेकिन इस बार हरियाणा के किसानों को गेहूं की फसल (wheat crop) में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.
किसानों का कहना है कि फसल खराब होने का मुख्य कारण बेमौसम बारिश और समय से पहले झुलसाती हुई गर्मी ने गेहूं की फसल (wheat crop) को खराब कर दिया है. जिससे हरियाणा के किसान बेहद परेशान है. संयुक्त किसान मोर्चा ने नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से प्रति क्विंटल 500 रुपये बोनस देने की मांग की है.
इस विषय में संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) का कहना है कि हर साल किसान प्रति एकड़ से लगभग 50 से 60 क्विंटल गेहूं का उत्पादन प्राप्त करता है. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ. देखा जाए तो इस साल किसानों को बस 35 से 45 प्रति क्विंटल गेहूं का उत्पादन प्राप्त हुआ है.
ज्यादातर किसान फसल को लेकर दिल्ली जा रहे
किसान का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच चले युद्ध (War between Russia and Ukraine) के कारण भी उन्हें बेहद नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम (wheat price in international market) अचानक से बढ़ गए है, लेकिन हरियाणा के सोनीपत जिले की अनाज मंडी में इस बार पिछले से लगभग 45 से 50 प्रतिशत तक गेहूं का आवाक मंडी में बहुत कम हुआ है. हरियाणा के कुछ किसानों का यह भी कहना है कि सोनीपत मंडी में गेहूं का आवाक इसलिए कम हुआ है, क्योंकि दिल्ली के नरेला मंडी (Delhi's Narela Mandi) में गेहूं के दाम (wheat price) अच्छे है. जिसके कारण ज्यादातर किसान लाभ कमाने के लिए अपने गेहूं की फसल को लेकर वहीं जा रहे है.
मौसम के कारण फसल हुई खराब (Crop damaged due to weather)
किसान का यह भी कहना है, कि इस बार फसल खराब होने के पीछे मौसम का सबसे बड़ा हाथ है. जब गेहूं बुवाई का समय आया तो बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया था, जिसके कारण किसान भाइयों के गेहूं की बुवाई बहुत देर में करना शुरू किया और फिर इसके बाद जब गेहूं कटाई (wheat harvesting) का समय आया तो गर्मी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया.
जिसके कारण गेहूं की फसल (wheat crop) अच्छे से नहीं पक पाई और नष्ट होने का कागार पर आ गई. अब हरियाणा के किसानों को कई तरह की आर्थिक दिक्कतों से लेकर अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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